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स्पेशल: गरीब बच्चों के सपनों को उड़ान दे रहा सुपर 30, तीस में से 28 बच्चों का IIT में सेलेक्शन

कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है. बस इरादे मजबूत होनी चाहिए, फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है. इंसान के इरादे और हौसले ही उसकी ताकत होती है. अगर कुछ अलग करने की इच्छा हो तो सपनों को खुली आंखों से देखने की जरूरत है. आइए जानते हैं कि कैसे गरीब, मजदूर और दूध पार्लर चलाने वालों के बच्चों ने आईआईटी में प्रवेश पा लिया.

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होनहारों के लिए खुले आईआईटी के द्वार

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Published : Oct 7, 2020, 10:38 PM IST

जोधपुर.देश के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institutes of Technology) में साधारण परिवेश के छात्रों का प्रवेश होता है तो सीधा नाम याद आता है, बिहार के आनंद कुमार का. जिन्होंने सुपर 30 के माध्यम से सैकड़ों की संख्या में गरीब परिवार के बच्चों को आईआईटी संस्थानों में प्रवेश दिलवाकर उनका जीवन बदल दिया. हाल ही में आईआईटी में प्रवेश के लिए हुए IIT-JEE Advanced का रिजल्ट आया है, जिसमें जोधपुर में भी एक सुपर 30 के 28 बच्चों ने आईआईटी की राह चुन ली है.

होनहारों के लिए खुले आईआईटी के द्वार

बता दें कि जोधपुर में चल रहे सुपर 30 का संचालन भारत सरकार के उपक्रम ऑयल इंडिया द्वारा किया जा रहा है. ऑयल इंडिया राजस्थान के ऐसे बच्चों का प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयन करता है, जिनके अभिभावकों की आय सालाना चार लाख से ज्यादा नहीं होती है. चयन के बाद इन बच्चों को पूरी तरह एक साल तक निशुल्क तैयारी करवाई जाती है.

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बीते दिन सोमवार को आए IIT-JEE के परिणाम में सुपर 30 के 28 बच्चों ने सफलता प्राप्त की है. ऑयल इंडिया के सुपर थर्टी प्रोजेक्ट के कोऑर्डिनेटर राहुल अग्रवाल बताते हैं कि इस बार अलग-अलग कैटेगरी में बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. कोरोना काल में इन बच्चों ने सुपर 30 के हॉस्टल में रहकर ऑनलाइन ही टीचर्स से जुड़े रहे और अपने तैयारी की.

किसान के बेटे की 292वीं रैंक

किसान के बेटे की 292वीं रैंक

जयपुर के रहने वाले किसान के बेटे पंकज यादव ने ओबीसी कैटेगरी में 292वीं रैंक प्राप्त कर आईआईटी में प्रवेश पाया. पंकज बताते हैं कि परिवार के बूते यह सफलता प्राप्त करना सम्भव नहीं था. सुपर 30 की बदौलत यह सपना पूरा हुआ है. वहीं यश रमानी के पिता सरस का दूध पार्लर चलाते हैं. उनके लिए कोचिंग का खर्चा उठाना सम्भव नहीं था, लेकिन सुपर 30 का एंट्रेंस टेस्ट क्लियर करने के बाद इंटरव्यू हुआ. उसमें पास होने के बाद तय किया कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना है. भरतपुर के रहने वाले हेमंत मीना के पिता को सिजनल मजदूरी का काम मिलता है. क्षेत्र के छात्र ने सुपर 30 से सफलता हासिल की थी. 8वीं क्लास से ही मन में था कि इलेक्ट्रिक इंजीनियर बनना है, जिससे सरकारी नौकरी मिल जाएगी. क्योंकि परिवार को इसकी सख्त जरूरत है.

पढ़ाई में इन बिंदुओं पर रखतें हैं फोकस

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6 साल में 128 को आईआईटियन बनाया

ऑयल इंडिया भारत सरकार का उपक्रम है, जो सेंटर फॉर सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड लीडरशिप के माध्यम से गरीब और होनहार बच्चों का आईआईटियन बनने का सपना पूरा कर रही है. जोधपुर केंद्र से 6 साल में 128 ऐसे बच्चों को आईआईटी पहुंचा दिया. सुपर थर्टी के लिए चयनित 30 बच्चों को जोधपुर में उनकी पढ़ाई और हॉस्टल के साथ सारा खर्च ऑयल इंडिया कंपनी उठाती है.

पढ़ाई में इन बिंदुओं पर रखतें हैं फोकस

बच्चों की पढ़ाई के दौरान संस्थान की तरफ से खास टिप्स पर ध्यान दिया जाता है, जिसमें समूह में अध्ययन कोचिंग का मुख्य उद्देश्य है. यहां पढ़ने वाले बच्चों को समय-समय पर ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षण दिए जाते हैं. हमेशा बच्चों को यह सिखाया जाता है कि दूसरों से तुलना करें, लेकिन स्वयं के अंदर भी सुधार करते रहें. बेहतर पढ़ाई के लिए बच्चों को शिक्षकों के द्वारा समय-समय पर प्रेरणा दी जाती है. साथ ही अपने काम पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ने की सीख दी जाती है.

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