जयपुर.जिंदगी में कुछ कर गुजरने के लिए इंसान के हौसले बुलंद होने चाहिए, लेकिन अगर आपके हौसले बुलंद नहीं होंगे तो आप मृत समान है, ये कहना है दिव्यांगों में विश्व के सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक जयपुर निवासी हृदेश्वर सिंह का. 17 वर्षीय हृदेश्वर चल नहीं सकते, लेकिन उन्होंने अपने दिमाग से ना सिर्फ भारत में बल्कि विश्व में नाम रोशन किया है.
हृदेश्वर ने 6,12 और 60 प्लेयर्स के खेलने के लिए गोलाकार शतरंज का आविष्कार किया है. इस आविष्कार के लिए उन्हें 3 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार 'अति उत्कृष्ट आविष्कारक 2019' से नवाजा गया. इतना ही नहीं हृदेश्वर सिंह को राष्ट्रपति द्वारा 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार 2020' से भी सम्मानित किया जाएगा. इस आविष्कार के बाद हृदेश्वर दिव्यांग केटेगरी में विश्व के साथ भारत के भी सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक बन चुके हैं.
ऐसे हुआ आविष्कार
हम सभी ने शतरंज को दो खिलाड़ियों के साथ खेलता देखा है और हृदेश्वर भी अपने पिता सरोवर सिंह भाटी के साथ शतरंज खेल रहे थे. उसी व्यक्त हृदेश्वर के कुछ दोस्त उनके पास आए और शतरंज खेलने के लिए बोला लेकिन हृदेश्वर ने कहा, कि अभी वे अपने पापा के साथ खेल रहे हैं, आप बाद में आना. इसके बाद दोस्त तो चले गए, लेकिन हृदेश्वर को बुरा लगा. तभी से हृदेश्वर ने ज्यादा लोगों के साथ शतरंज खेलने को लेकर खोज की और धीरे-धीरे इसका आविष्कार किया.