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Special: गुलाबी नगरी में इस बार यंगिस्तान की शहरी सरकार, 3 पार्षद महज 21 साल के - jaipur latest news

राजस्थान में शहरी सरकार के चुनाव की प्रकिया समाप्त हो चुकी है. जनता ने अपने मत का प्रयोग कर अपने प्रतिनिधियों को चुन लिया है. सामने आए परिणामों से साफ है कि इस बार राजधानी की जनता ने युवा प्रत्याशियों को मौका दिया है. या यूं कहें इस बार गुलाबी नगरी ने यंगिस्तान को मौका दिया है. देखें- यह खास रिपोर्ट...

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गुलाबी नगरी में इस बार युवा पार्षदों के नामों पर लगी मोहर

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Published : Nov 5, 2020, 2:58 PM IST

जयपुर: राजधानी के हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और परिणाम भी सामने आ चुका है. इसमें कई दिग्गज पार्षद दोबारा नगर निगम की कुर्सी पर काबिज हुए हैं. वहीं 35 पार्षद ऐसे हैं, जो 30 या उससे भी कम उम्र के हैं. ग्रेटर में 1 और हेरिटेज में 2 पार्षद तो अभी महज 21 वर्ष के ही हैं, जो कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ अब राजनीति की एबीसीडी भी सीखेंगे.

गुलाबी नगरी में इस बार युवा पार्षदों के नामों पर लगी मोहर

नगर निगम चुनाव में जहां कई स्थानीय धुरंधरों ने चुनावी मैदान में अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया. इस बार बड़ी संख्या में युवा भी चुनावी मैदान में उतरे और पार्षद भी चुने गए. इनमें से अधिकतर अब अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करेंगे. हेरिटेज नगर निगम की अगर बात करें तो यहां 30 या उससे भी कम आयु के 11 पार्षद चुनकर आए हैं. इनमें 3 पार्षद ऐसे हैं, जो महज 21 वर्ष के हैं.

जयपुर हेरिटेज के आंकड़े

ग्रेटर नगर निगम में वार्ड 92 से चुनी गई कांग्रेस की ज्योति सैनी, जबकि हेरिटेज नगर निगम में वार्ड 76 से कांग्रेस के ही मोहम्मद सोहेल मंसूरी और वार्ड 81 से असमा खान अब कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति का पाठ भी पड़ेंगे.

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ETV भारत से खास बातचीत में मोहम्मद सोहेल और आसमा खान ने बताया कि उनके पार्षद बनने का मुख्य कारण क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान करने का है. क्षेत्र में पानी और स्ट्रीट लाइट के साथ सड़क, सफाई और सीवरेज की बड़ी समस्या है. जिसका निदान वो करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि राजनीतिक क्षेत्र में पढ़ाई भी अहम भूमिका निभाती है. पढ़े-लिखे पार्षद ही सदन में अपनी बात को प्रखरता के साथ रख सकते हैं. ऐसे में वो अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी जारी रखेंगे.

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खैर, युवा आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. राजनीतिक क्षेत्र भी अब इससे अछूता नहीं रहा है. यही वजह है कि 21-22 साल के युवा भी अब क्षेत्रीय विकास के मुद्दों को लेकर नगर निगम के सभासद भवन में अपनी आवाज बुलंद करेंगे.

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