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स्कूल में 'धुल' रहा भविष्य : पोषाहार के बर्तन धो रहे बच्चे, सरकार की आंखें बंद - Children washing dishes in school

जयपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में नन्हें बच्चे जूठे बर्तन साफ करते नजर आए. बच्चों को खेलने कूदने का जो समय मिलता है, बच्चे उस समय में पोषाहार के बर्तन धोते है. जब ईटीवी भारत की टीम स्कूल पहुंची तो देखिए क्या नजारा देखने को मिला...

जयपुर की खबर, jaipur news
नन्हें हाथ धो रहे पोषाहार के बर्तन

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Published : Feb 21, 2020, 7:57 PM IST

जयपुर.जिन हाथों में कलम होनी चाहिए थी, उन्हीं हाथों से जूठे बर्तन धोता बचपन, अफसरों को खुली आंखों से भी दिखाई नहीं दे रहा. बेपरवाही का यह आलम और कहीं नहीं बल्कि शिक्षा के मंदिर में हो रहा है. सरकार दावा तो बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का कर रही है, लेकिन हकीकत दावों से कोसों दूर है.

नन्हें हाथ धो रहे पोषाहार के बर्तन

शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में मौजूद सांगानेर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में ईटीवी भारत की टीम की पहुंची तो वहां पर नन्हें बच्चें जूठे बर्तन साफ करते नजर आए. बच्चे कड़ाई, पतीला, प्लेट्स, चमच रगड़ रगड़ कर धो रहे थे. जिसे देखकर शायद किसी का भी दिल पिघल जाए, लेकिन वहां मौजूद शिक्षक कर्मचारी का दिल नहीं पिघला. सरकार स्कूली बच्चों को पोषाहार देकर वाहवाही जरूर लूट रही है, लेकिन दूसरी ओर पोषाहार के बर्तन भी बच्चों से ही साफ करवा रही है.

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बच्चों को खेलने कूदने का जो समय मिलता है, बच्चे उस समय में पोषाहार के बर्तन धोते हैं. सरकार ने निर्णय लिया है, कि विद्यार्थी शनिवार को बिना बैग के स्कूल पहुंचें और अपनी प्रतिभाओं को निखारें. लेकिन सवाल ये उठते हैं, कि क्या इस तरह से निखरेगी बच्चों की प्रतिभा, जहां पर बच्चों को बर्तन साफ करने पड़ रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब बच्चों को कैमरा में कैद करना शुरू किया, तो एक बच्चे ने अपना मुंह छुपा लिया.

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वहीं स्कूल की एक शिक्षिका बच्चों के पास पहुंची और बोलने लगीं, कि आप बर्तन कैसे साफ कर रहे हो. चलो क्लास में जाओ. यह सुनकर कुछ देर तक तो बच्चे बर्तन धोते रहे पर जैसे ही टीचर ने जोर से बोला तो सभी बच्चे क्लास रूम की ओर भाग गए. इन सबके बाद भी स्कूल की हकीकत किसी के सामने छुप नहीं सकती. इस स्कूल का दृश्य तो हम आप तक लेकर आए हैं, लेकिन ऐसे हालात लगभग सभी सरकारी स्कूल में होंगे.

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14 साल से कम उम्र के बच्चों से मेहनत-मजदूरी जैसा शारीरिक काम करवाना जुर्म है. इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी रामचंद्र पिलानिया से पूछा गया तो उन्होंने कहा, कि मामले की जांच करवाई जाएगी. उधर स्कूल प्रिंसिपल राकेश शर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी रटा रटाया जवाब दिया.

उन्होंने कहा, कि स्कूल में पोषाहार के बर्तन साफ करने के लिए कोई हेल्पर नहीं है. सरकार ने 2017 से स्कूलों से सभी हेल्पर और खाने बनाने वालो को हटा दिया. जिसके बाद स्कूलों में बर्तन साफ करने की कोई व्यवस्था नहीं है. किसी कर्मचारी को लगाने के लिए भी पैसा चाहिए, वो भी स्कूल के पास नहीं है.

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