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चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना - चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की आराधना

पूरे राजस्थान में चैत्र नवरात्रि की धूम है. ऐसे में चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन बुधवार को ज्ञान, वैराग्य और तपस्या की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. इसके लिए अलसुबह स्नान करने के बाद भक्त को, धूप, गंध, अक्षत, सिंदूर और पुष्प मां ब्रह्मचारिणी को भेंट करें और मंत्रो का स्मरण करें.

चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की आराधना, Worship of Brahmacharini on second day of Chaitra Navratri
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की आराधना

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Published : Apr 14, 2021, 7:22 AM IST

Updated : Apr 14, 2021, 8:36 AM IST

जयपुर. घट स्थापना के बाद चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन बुधवार को ज्ञान, वैराग्य और तपस्या की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. दुष्टों को सदमार्ग दिखाने वाली मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से भक्त में तप की शक्ति, सदाचार, संयम, त्याग और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है. इनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होती है.

ज्योतिषाचार्य पंडित आशुतोष वैदिक के अनुसार देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना शुभ रहेगा. इसके लिए अलसुबह स्नान करने के बाद भक्त को, धूप, गंध, अक्षत, सिंदूर और पुष्प मां ब्रह्मचारिणी को भेंट करें और मंत्रो का स्मरण करें. वहीं मां ब्रह्मचारिणी को चमेली के फूल प्रिय है, उनको भी अर्पित करें. कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान से पूजा-अर्चना करें. प्रसाद के रूप में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं.

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दरअसल कठोर साधना और ब्रह्मा में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल ग्रह के प्रभाव कम होते हैं. मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप उस देवी का है, जो शिव को अपने पति स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप करती हैं. इस तप से ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा है. राजा हिमालय के घर जन्म लेने वाली मां ब्रह्मचारिणी ने नारदजी की सलाह पर कठोर तप किया, ताकि वे शिव को पति के रूप में प्राप्त कर सकें. तप के दौरान सौ सालों तक शाक खाकर वो जीवित रही और एक हजार वर्ष तक तो केवल फल-फूल ही खाए.

Last Updated : Apr 14, 2021, 8:36 AM IST

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