जयपुर.माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व है. ये पर्व मां सरस्वती को समर्पित है और इसे प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन विद्या आरंभ के लिए सबसे उत्तम माना गया है, जो हर प्रकार के अंधकार को दूर करने की क्षमता रखता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित गिरिराज व्यास ने बताया कि 16 फरवरी को तड़के 3.30 बजे से मुहूर्त का शुभारंभ होगा जो 17 फरवरी की तिथि के साथ ही समाप्त होगा. रेवती नक्षत्र में बसंत पंचमी के पर्व पर मां सरस्वती की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए. ये नक्षत्र बुध का नक्षत्र माना जाता है.
16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन करें मां सरस्वती की पूजा ज्योतिष शास्त्रों में बुध ग्रह को बुद्धि और ज्ञान का कारक माना गया है. पंचाग के अनुसार इस दिन अमृत सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बनने जा रहा है, जो इस पर्व के महत्व को और अधिक बढ़ाता है. बसंत पंचमी के दिन वीणा वादिनी और विद्या की देवी सरस्वती जी का पूजन किया जाता है. इस दिन विद्यार्थी मां सरस्वती का विधि विधान से पूजन करने के लिए पीले वस्त्र धारण कर पीला भोजन ही ग्रहण करें.
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वहीं सरस्वती मां के मंत्रोच्चारण के साथ उनकी पूजा करें. वहीं मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले और सफेद पुष्प अवश्य अर्पित करें. साथ ही पीले रंग के चावल बनाकर गरीबो में वितरित करें. इस बार बसंत पंचमी का पर्व किसानों के लिए भी विशेष महत्व रखता है. इस दिन से बसंत ऋतु का प्रारंभ होगा और मौसम सुहाना होना शुरू हो जाएगा.