जयपुर.विश्व टीबी दिवस (World TB Day) पर आज देश-दुनिया में लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो विश्व में 26 फ़ीसदी टीबी मरीज तो अकेले भारत में चिन्हित किए गए हैं. इनमें भी 7 फीसदी अकेले राजस्थान में मौजूद हैं. टीबी से निजात पाने और और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रहीं हैं. टीबी के इलाज में रोजाना मरीज को एक इंजेक्शन दिया जाता है जिसकी पीड़ा असहनीय रहती है लेकिन अब उन्हें इस दर्द भरे इलाज से मुक्ति मिल जाएगी. अब 'बीडाक्विलीन' टेबलेट (Bedaquiline tablet in Rajasthan) टीबी मरीजों को दर्द रहित इलाज देगी. कइ अस्पतालों में यह दवाएं उपलब्ध भी हैं जिनका लाभ मरीजों को हो रहा है.
टीबी वैसे तो अब बड़ी बीमारियों की श्रेणी में नहीं आती क्योंकि इसका इलाज अब संभव है, लेकिन इसके उपचार में देरी करने या लापरवाही करने पर कभी-कभी केस बिगड़ भी जाता है. ऐसे में मरीजों को केना माइसिन इंजेक्शन रोजाना लगाया जाता है ताकि यह बीमारी और न फैले और हालात में सुधार हो. यह इलाज लंबे समय तक चलता था. इंजेक्शन के कारण मरीजों को काफी दर्द का सामना भी करना पड़ता था लेकिन अब टीबी मरीजों को इलाज इंजेक्शन की बजाय टेबलेट से किया जा रहा है.
डिस्ट्रिक नोडल अधिकारी टीबी डॉक्टर सुधीर शर्मा का कहना है कि इससे पहले मरीजों को इंजेक्शन के जरिए इलाज दिया जाता था. हर दिन मरीज को इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल आना पड़ता था. यह प्रक्रिया 6 महीने तक चलती थी जिस कारण मरीजों काफी परेशानी होती थी. इनमें कुछ मरीज तो दर्द न सह पाने पर बीच में ही इलाज छोड़ देते थे तो कई लंबा समय लगने के कारण उपचार में लापरवाही करते थे. इससे कई बार मरीज की जान भी चली जाती थी. ऐसे में अब प्रदेश में इंजेक्शन की बजाए दवा से इलाज शुरू कर दिया गया है. अब 'बीडाक्विलिन' दवा से मरीजों का इलाज किया जा रहा है जो दर्द रहित है. डॉ शर्मा का कहना है कि यह इलाज 6 महीने से 20 महीने तक मरीज को दिया जाता है और इसके बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है.