जयपुर.नाहरगढ़ के जंगलों में बब्बर शेरों की दहाड़ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है. लॉयन सफारी में इंसान बंद गाड़ी में और लॉयन खुले में घूमते नजर आते हैं. 36 हेक्टेयर में बनी इस लॉयन सफारी के चारों (Nahargarh Lion Safari) तरफ 5 मीटर ऊंची फेंसिंग की गई है. खुले जंगल में बब्बर शेरों की दहाड़ देखकर पर्यटक भी रोमांचित हो रहे हैं. वन्यजीव प्रेमियों ने बाघों की तर्ज पर लॉयन अभयारण्य विकसित करने की मांग की है.
साक्षात प्रकृति से रूबरू होकर एक अलग ही अनुभूति : लॉयन सफारी में आकर रणथंभौर जैसी फीलिंग होती है. लॉयन सफारी में आसानी से सैलानियों को लॉयन नजर आ जाते हैं. विभिन्न प्रकार के वृक्ष और वन्यजीवो देखकर (Lions in Nahargarh Biological Park) प्रकृति से प्यार होता है. स्कूलों में बच्चे कहानियों और किताबों में ही प्रकृति को देखते हैं, लेकिन यहां जंगल में साक्षात प्रकृति से रूबरू होकर एक अलग ही अनुभूति प्राप्त होती है.
बाघों की तर्ज पर लॉयन अभयारण्य विकसित करने की मांग : वन्यजीव प्रेमी सूरज सोनी ने वर्ल्ड लॉयन डे पर सरकार से मांग की है कि गुजरात और राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां समान है. राजस्थान में भी गुजरात के गिर वन की तर्ज पर शेरों को लाकर लॉयन अभयारण्य डवलप किया जाए. इससे शेरों का कुनबा तो बढ़ेगा ही, साथ में राजस्थान का नाम भी विश्व पटल पर जाएगा. टूरिज्म को भी इससे बढ़ावा मिलेगा. देश-विदेश से पर्यटक शेरों को देखने और अध्ययन के लिए राजस्थान में आएंगे. राजस्थान में शेर विलुप्त प्राय हैं, केवल चिड़िया घरों में ही देखने को मिलते हैं. बाघों की तर्ज पर शेरों के लिए अभयारण्य विकसित होगा तो शेरों का कुनबा बढ़ेगा. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर राजस्थान में बाघ अभयारण्य की तर्ज पर लॉयन अभयारण्य विकसित किया जाए.
पहली बार एशियाटिक शेरों को खुले जंगल में देखने का सपना हुआ पूरा : रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की लोकप्रियता के बाद प्रदेश में पहली बार (Asiatic Lion in Rajasthan) एशियाटिक शेरों को खुले जंगल में देखने का सपना पूरा हुआ है. लॉयन सफारी में शेरों के अलावा भी कई वन्यजीव मौजूद हैं. नीलगाय, मोर, खरगोश और चीतल जैसे कई वन्यजीव सफारी में मौजूद हैं. लॉयन शिकार के लिए वन्यजीवों के पीछे दौड़ते भी नजर आते हैं. लॉयन सफारी के लिए शेरों की संख्या बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है.
लॉयन कंजर्वेशन प्लान बनाया जाए : वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि एशियाटिक लॉयन भारत में केवल गुजरात में ही पाए जाते हैं. लॉयन देश के अन्य राज्यों में भी बसाया जाना चाहिए. बाघों की तर्ज पर लॉयंस को भी राजस्थान में इंट्रोड्यूस किया जाए. राजस्थान में प्राथमिकता से लेकर लॉयन कंजर्वेशन प्लान बनाया जाए. राजस्थान में ऐसे क्षेत्र है जहां पर लॉयन की पोपुलेशन सरवाइव कर सकती है.
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प्रकृति को बचाना जरूरी : प्रकृति प्रेमियों के मुताबिक सरकार को चाहिए कि जहां पर अच्छे जंगल है और वन्यजीव प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे एरिया को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है और प्रकृति का विनाश हो रहा है. ऐसे में मानव को प्रकृति से प्यार होगा तो प्रकृति को बचाया जा सकेगा. प्रकृति को बचाना बहुत जरूरी है. लोग भागदौड़ की जिंदगी में ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं. ऐसे में शहर के पास में ही बनी लॉयन सफारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है.