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World Elephant Day आज, जयपुर में है देश का एकमात्र हाथी गांव - जयपुर में है देश का एकमात्र हाथी गांव

हाथियों को सुरक्षित और प्राकृतिक वातावरण देने के साथ ही उनके संरक्षण के लिए राजधानी जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया था (Hathi Gaon In Jaipur). देश-विदेश के पर्यटक हाथी सवारी का लुत्फ उठाने के लिए यहां पहुंचते हैं, किसी स्थिति में है ये हाथी गांव आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में.

World Elephant day
जयपुर में है देश का एकमात्र हाथी गांव

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Published : Aug 12, 2022, 8:23 AM IST

Updated : Aug 12, 2022, 9:44 AM IST

जयपुर. हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया था (Hathi Gaon In Jaipur). हाथियों की पहली पसंद पेड़ और पानी के तालाब होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए हाथी गांव में वन विभाग की ओर से सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे लगाए गए. हाथियों के नहाने और अठखेलियां करने के लिए तालाब भी तैयार किए गए (World Elephant Day).

गांव तो बसा मगर...: पूर्व वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि हाथियों के लिए सरकार की ओर से हाथी गांव बनाया गया था. जयपुर में करीब 86 हाथी है. 65 हाथियों के थान बने हुए हैं. अन्य हाथी आसपास में निवास कर रहे हैं. आमेर किले पर काफी समय से हाथियों की सवारी करवाई जा रही है. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सरकार और विभाग में हाथियों का प्रजनन करके इनका कुनबा बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा.

क्या कहते हैं जानकार...

हाथियों को नही मिला जीवनसाथी:हाथी गांव में ज्यादातर हथनिया है, केवल एक ही नर हाथी है. हाथियों को प्राकृतिक आवास तो दे दिया, लेकिन हाथियों को जीवनसाथी नहीं मिल रहा. ये हाथियों के साथ अन्याय है. इसकी वजह से हाथियों की संख्या भी नहीं बढ़ रही है. हाथियों के प्रजनन और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को प्रयास करने चाहिए. 86 मादा हाथियों के लिए कम से कम पांच नर हाथी तो होने चाहिए. ताकि हाथियों का प्रजनन हो सके.

नहीं तो विलुप्त हो जाएंगे हाथी:शर्मा भी मानते हैं कि प्राकृतिक प्रक्रिया जरूरी है. कहते हैं प्रजनन की क्रिया नहीं होगी तो धीरे-धीरे हाथी विलुप्त होते जाएंगे. कहते हैं- इस तरह चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब हाथी नाम की कोई चीज नहीं बचेगी. कुछ हाथियों में टीबी और अन्य बीमारियां भी देखने को मिली थी. ऐसे में हाथियों को प्राकृतिक वातावरण मिलना जरूरी है. मनुष्य हो या फिर जानवर सबका जोड़ा बनाया गया है. हाथियों में भी जोड़ा बनाना जरूरी है. कई बार देखने को मिलता है कि हाथी बहक जाते हैं. यज नेचुरल है, क्योंकि इंसान हो या जानवर हो उनमें बच्चा पैदा करने की अपनी कैपेसिटी होती है.

हथनियो को हाथी का साथ नहीं मिलता है, तो उन पर भी इसका साइकलॉजिकल इफेक्ट पड़ता है व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है, वो हिंसक हो जाती हैं और इसका परिणाम कई बार पर्यटकों को भी भुगतना पड़ जाता है. कई बार ऐसा होता है कि हाथी पर्यटकों को पटक देते हैं. इन सबके बीच जरूरी है कि हाथियों का प्रकृतिक जोड़ा जरूरी होना चाहिए. हाथी गांव में भी हथनियों के लिए नर हाथी होने चाहिए. बाहर से आने वाली हाथियों का रजिस्ट्रेशन सरकार ने बंद कर रखा है. सरकार के स्तर पर नर हाथी लाने के प्रयास करने चाहिए.

जयपुर में होता था हाथियों का प्रजनन: हाथियों के लिए हाथी गांव में तालाब बना हुआ है, जिसमें पानी भी भरा है. नर हाथी थोड़ा एग्रेसिव होता है. जिसकी वजह से हथनियों को ही ज्यादा लाया जाता है. लेकिन यह भी सोचना जरूरी है कि नर हाथी नहीं होगा तो हाथियों की संख्या नहीं बढ़ पाएगी. पुराने समय में जयपुर में हाथियों का प्रजनन होता था. लेकिन 20 से 25 साल में कहीं पर भी जयपुर में हाथियों का प्रजनन नहीं हुआ है.

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वन विभाग की होनी चाहिए प्रॉपर मॉनिटरिंग: पूर्व वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि हाथी गांव में अभी भी कुछ थान बनने शेष है. हाथी गांव में एक-दो तालाब और बनने चाहिए. ताकि पानी के तालाब में हाथी पर्याप्त मात्रा में क्रीड़ा कर सकें. और अपने आपको स्वच्छंद वातावरण में महसूस कर सकें. वन विभाग भी प्रॉपर मॉनिटरिंग करें. हाथियों के आवागमन की भी मॉनिटरिंग की जाए. हाथी गांव से हाथी के बाहर जाने और अंदर वापस आने का समय रजिस्टर में नोट होना चाहिए. हाथी का खर्चा काफी महंगा होता है. ऐसे में हाथी पालकों को भी हाथी पाना काफी मुश्किल होता है.

वर्ष 2010 में बसा था हाथी गांव: हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि हाथियों के लिए वर्ष 2010 में हाथी गांव बसाया गया था. 120 बीघा में आमेर इलाके में हाथी गांव बसाया गया. जयपुर के दिन हाथियों को थाना अलॉटमेंट हो चुके हैं, वह सभी हाथी गांव में रहते हैं. हाथी गांव में हाथियों के लिए दो तालाब बनाए गए थे. हाथियों के लिए थान के साथ अन्य सुविधाएं भी दी गई है. रोजाना हाथी सुबह आमेर महल में हाथी सवारी के लिए जाते हैं. हाथी सवारी का समय पूरा होने के बाद वापस हाथी गांव में लौटते हैं. थोड़ी देर आराम करने के बाद हाथी का महावत उसे चारा खिलाता है. दिनभर हाथियों की डाइट का पूरा ख्याल रखा जाता है. डॉक्टर्स की सलाह पर हाथियों को खाना पीना दिया जाता है. मौसम के अनुसार अलग-अलग भोजन दिया जाता है.

नर हाथी आए तो प्रजनन क्रिया हो सके: आसिफ खान ने बताया कि हाथी गांव में एक नर हाथी और करीब 90 फीमेल हाथी है. प्रजनन के लिए हाथियों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण होता है. लेकिन हाथी गांव में एक ही नर हाथी मौजूद है. आशा करते हैं कि आने वाले समय में हाथियों की संख्या बढ़े. मादा हाथियों के लिए नर हाथी भी हाथी गांव में आए. जिसे प्रजनन क्रिया हो सके. वन विभाग को भी प्रयास करना चाहिए. वन विभाग नर हाथी लाने की अनुमति दें. हाथी गांव हरियाली से भरा हुआ है. हाथी गांव में कुछ समस्याएं भी है. पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित होनी चाहिए. हर साल 12 अगस्त को हाथी गांव में विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. इंसानों की तरह ही हाथी भी केक काटकर बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं. वर्ल्ड एलीफैंट डे पर संदेश दिया जाता है कि बेजुबान जानवर भी हमारे परिवार के सदस्य की तरह है.

हाथियों के लिए बने हैं थान:हाथी गांव में हाथियों के लिए थान बने हुए हैं. हाथियों को नहाने के लिए एक तालाब बना हुआ है, जिसमें हाथी अठखेलिया करते हैं. हाथी गांव में पर्यटकों के लिए भी काफी सुविधाएं है. हाथी गांव में हाथियों की राइडिंग होती है और यहीं से आमेर महल में राइडिंग के लिए हाथी जाते हैं. हाथियों की दिनचर्या सुबह 5:00 बजे से शुरू हो जाती है. सबसे पहले महावत हाथियों के थान की साफ सफाई करता है. इसके बाद हाथी को तैयार किया जाता है. प्रत्येक हाथी का नंबर होता है, जिसके आधार पर आमेर महल में हाथी की पहचान होती है.

हाथी गांव का वीआईपी गेस्ट हाउस बंद:हाथी गांव हाथी सवारी के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. हाथी गांव में सैलानियों के लिए लग्जरी गेस्ट हाउस बनाया गया था, लेकिन लाखों की लागत से बना गेस्ट हाउस वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. देश का एकमात्र हाथी गांव देसी- विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है. विश्व प्रसिद्ध हाथी गांव में पावणों के लिए वीआईपी गेस्ट हाउस भी बनाया गया. वन विभाग ने हाथी गांव में करीब 5 साल पहले 70 लाख रुपये की लागत से पर्यटकों के लिए वीआईपी गेस्ट हाउस बनाया था.

हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि हाथी गांव में तालाब के पास वीआईपी गेस्ट हाउस बना हुआ है. जब से गेस्ट हाउस बना तभी से बंद पड़ा हुआ है. कई बार टेंडर की प्रक्रिया की गई, लेकिन गेस्ट हाउस चालू नहीं हो पाया. वीआईपी गेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए स्टार्ट हो. गेस्ट हाउस चालू होने से हाथी गांव में पर्यटकों की रोनक बढ़ेगी. पर्यटक गेस्ट हाउस में रुकेंगे तो हाथी की पूरी दिनचर्या भी देख सकेंगे. इसके लिए गेस्ट हाउस को जल्द से जल्द चालू किया जाए. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए गेस्ट हाउस को रंग बिरंगी पेंटिंग और खूबसूरत रंगों से सजाया गया. गेस्ट हाउस में फाइव स्टार होटल की तरह चार कमरे बनाए गए. कमरों को लग्जरी बेड और खूबसूरत पेंटिंग से सजाया गया.

वन्यजीवों से जुड़ा है टूरिज्म:वन्यजीवों से टूरिज्म जुड़ा हुआ है और इससे कई लोगों का रोजगार चलता है. वन्यजीव जंगल की शोभा के साथ ही मानव को आजीविका प्रदान करते हैं. आमेर के हाथी गांव में पर्यटक हाथी सवारी के लिए पहुंचते हैं. इससे कई लोगों को रोजगार मिलता है. जिस तरह से इंसान अपना जन्मदिन मनाते हैं उसी तरह वन्यजीवों के लिए भी दिन निर्धारित किया गया है, जिसको बड़े हर्षोल्लास से उत्सव के रूप में मनाते हैं.

देश का एकमात्र है हाथी गांव:देश का एकमात्र हाथी गांव आमेर के कुंडा में बसाया गया है. हाथी गांव पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहता है. पर्यटक हाथी सफारी का आनंद लेने के लिए यहां पहुंचते हैं. हाथी गांव देश का एकमात्र हाथी गांव है जो कि हाथियों के लिए बताया गया है. हाथी गांव करीब 100 एकड़ पर बसा हुआ है. यहां पर अभी करीब 86 हाथी रहते हैं. हाथियों के रहने के लिए थान बने हुए हैं. इसके साथ ही हाथियों की पहचान के लिए प्रत्येक हाथी के कान के पास माइक्रोचिप लगाई गई है, जिसमें हाथी का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर फीड होता है.

Last Updated : Aug 12, 2022, 9:44 AM IST

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