जयपुर. 12 अक्टूबर को विश्व भर में वर्ल्ड ऑर्थराइटिस डे के रूप में मनाया जाता है. इस बार वर्ल्ड ऑर्थराइटिस डे जागरूकता के रूप में मनाया जा रहा है, ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी मिल सके और समय रहते इस बीमारी का इलाज संभव हो सके. चिकित्सकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में देश में रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के मरीजों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली (Cases of rheumatoid arthritis increasing) है. माना जाता है कि बड़ी उम्र के लोगों को ऑर्थराइटिस होता है, लेकिन अब इसके मामले युवाओं में भी देखे जा रहे हैं.
आंकड़ों की बात करें तो देश में 100 लोगों में से एक व्यक्ति रूमेटाइड आर्थराइटिस का शिकार है. जबकि 200 लोगों में से एक को कमर की गठिया है और 50 लोगों में एक को सीटीडी है, यह महिलाओं में अधिक होती है. जबकि कमर की गठिया पुरूषों में अधिक पाई जाती है. सवाई मानसिंह अस्पताल की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आराधना सिंह का कहना है कि इस बार वर्ल्ड ऑर्थराइटिस डे की थीम 'गठिया इलाज योग्य है' रखी गई है. यह एक प्रकार की बीमारी है जिसे ऑटोइम्यून कण्डीशन के रूप में जाना जाता है.
इसका मतलब यह है कि जब हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम ही हमारी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देता है. हानिकारक सूक्ष्मजीवों और बीमारियों से बचाने की जिम्मेदारी हमारे इम्यून सिस्टम की होती है. हमें किसी भी तरह के संक्रमण से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम लगातार काम करता है. हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ लड़ता है. लेकिन कई बार यह गलती से शरीर की अपनी कोशिकाओं पर भी हमला कर देता है, इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है. ऐसे में जब बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो यह रूमेटाइड ऑर्थराइटिस का रूप लेने लगती है, जिसमें मरीज के जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगता है. डॉ आराधना का कहना है कि आमतौर पर माना जाता है कि यह बीमारी बड़ी उम्र के लोगों को होती है लेकिन अब युवाओं में भी ऑर्थराइटिस के मामले देखने को मिल रहे (arthritis in youth) हैं.