जयपुर. प्रदेश की गहलोत ने सरकार ने आमजन को बड़ी राहत देने के लिए बजट पेश किया गया, लेकिन जब तक बजट की क्रियान्वयन को लेकर जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक इसका लाभ आमजन को नहीं मिलेगा. आमजन को योजनाओं के लाभ के साथ आम समस्या समाधान को लेकर एक बार फिर सिविल सोसायटी ने जवाबदेही कानून बनाने की मांग उठी. इसके साथ स्वास्थ्य का अधिकार (Demand of Right to health policy), महिला नीति, राज्य स्तर पर शिक्षा नीति सहित कई मांग इस कार्यशाला में उठी.
फेस टू फेस चर्चा: राज्य सरकार की ओर से पहली बार वित्त (बजट) विभाग की ओर से सोमवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें अधिकारियों ने सामाजिक संगठनों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन पर फेस टू फेस चर्चा की. कार्यशाला में आयोजित सत्रों में विभिन्न विभाग के अधिकारियों ने सामाजिक संगठनों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों को बजट घोषणाओं के बारें में विस्तृत रूप से चर्चा की. खास बात यह है कि इस कार्यशाला में अलग-अलग सिविल सोसायटी के लोगों से बजट घोषणा क्रियान्वयन को सुझाव लिया (Suggestions for Budget implementation) गया. कार्यशाला में आये सुझाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिए गए.
352 ब्लॉक से आये प्रतिनिधि: बजट कार्यशाला में राज्य के 352 ब्लॉक से आए प्रतिनिधियों ने अधिकारियों को महत्वपूर्ण घोषणाओं पर सुझाव दिए. वहीं, अधिकारियों ने बजट घोषआओं के क्रियान्वयन में हुई प्रगति की जानकारी दी. विभिन्न प्रस्तुतीकरणों के माध्यम से आमजन के कल्याण के लिए किए निर्णयों के बारें में उन्हें अवगत करवाया गया. साथ ही, प्रतिनिधियों से कई मुद्दों पर चर्चा कर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया. कार्यशाला में महात्मा गांधी नरेगा योजना, मुख्यमंत्री युवा संबल योजना, महात्मा गांधी अंग्रेजी मिडियम विद्यालय, कृषि बजट, मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना, राइट टु हेल्थ बिल, मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना, मुख्यमंत्री किसान पेंशन योजना, पालनहार योजना, इंदिरा रसोई योजनाओं, महिला नीति, स्वास्थ्य सुधार, सहित कई मुद्दों पर सामाजिक संगठनों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से चर्चा की गई.