जयपुर. देश में प्रवासी श्रमिकों के पैदल चलने की तस्वीर हर किसी ने देखी. इसी का असर हुआ कि सरकारों को यह निर्णय लेना पड़ा कि अब कोई भी प्रवासी श्रमिक सड़कों पर पैदल नहीं चलेगा. अगर वह पैदल चलता दिखाई दिया तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी.
राजस्थान सरकार ने चलाई श्रमिक बसें... ऐसे में अब राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इन प्रवासियों को सड़क पर चलना तो बंद करवाया ही है, साथ ही उन्होंने श्रमिक बसें चलाने का जो निर्णय लिया है वह अपने आप में देश में अपनी छाप छोड़ रहा है. राजस्थान के अलग-अलग जिलों से यह बसें रवाना हो रही है, जिन पर सवार होने के लिए बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर भी पहुंच रहे हैं.
राजधानी जयपुर के कानोता शेल्टर होम में प्रवासी श्रमिक अपने पूरे परिवार के साथ अपने राज्यों के लिए रवाना होने के लिए पहुंच रहे हैं. हालात यह है कि बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी इसमें शामिल है. हालांकि ये मजदूर अब दुखी भी हैं और परेशान भी हैं क्योंकि 2 महीने से चल रहे लॉकडाउन में इन्होंने अपने काम धंधे को तो बंद होते देखा ही है साथ ही अपने परिवार को भी परेशान होते देखा है. ऐसे में अब ये मजदूर किसी भी हाल में अपने गांव पहुंचना चाहते हैं.
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मजदूरों का कहना है कि एक बार वह अपने घर पहुंच जाए इसके बाद वापसी संभव नहीं होगी. दरअसल ये वो मजदूर हैं जो सड़कों पर पैदल चल रहे थे, लेकिन इन मजदूरों को सरकारी अधिकारियों ने शेल्टर होम में भेज दिया और वहां से ये बसों में सवार होकर अपने राज्यों के लिए जा रहे हैं. हालांकि अभी राजस्थान से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ही वे 2 राज्य हैं, जिनमें आसानी से सरकारी श्रमिक बसों का आना-जाना हो रहा है.