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Special : जरूरतमंदों की सेवा के लिए जयपुर रियासत में शुरू हुआ 'पुण्य महकमा' आज भी है कायम, योजनाएं और चेहरे बदले...सेवा भाव जस का तस

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Published : Jan 31, 2022, 5:09 PM IST

बेसहारा और जरूरतमंद की सेवा के लिए राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाएं कार्य कर रही हैं. ये सभी जयपुर की पूर्व रियासत के उस परंपरा को निभा रहे हैं, जिसे सवाई जय सिंह ने शुरू किया था. उस दौर में स्थापित 'पुण्य महकमा' का स्थान विभान्न योजनाओं ने ले लिया है, लेकिन काम वही है जो पूर्व रियासत के दौरान (Service to Needy in Jaipur) जरूरतमंदों की सेवा के लिए किया जाता था.

Service to Needy in Jaipur
जयपुर में जरूरतमंदों की सेवा...

जयपुर. बेघरों को आसरा, भूखों को भोजन और सर्द रातों में सर्दी से बचाने के लिए कंबल बांटने जैसे काम राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत (Rajasthan Government Schemes for Destitute) हो रहे हैं. रैन बसेरे, इंदिरा रसोई जैसी सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाएं गरीबों के लिए वरदान से कम नहीं. हालांकि, जयपुर के लिए ये कोई नई बात नहीं. गरीब और निराश्रितों को आसरा, भोजन और कंबल बांटने की परंपरा जयपुर की से जुड़ी हुई है.

सवाई जय सिंह ने यहां पुण्य महकमे की शुरुआत की थी, जो शीत ऋतु में हरकत में आ जाया करता था. उनके वंशजों ने इसे आगे बढ़ाया और आज राज्य सरकार और जयपुर राइट्स विरासत की इस परंपरा को आज भी निभा रहे हैं. आमेर रियासत में पुण्य महकमा हुआ करता था. सर्दी गर्मी या कोई आपदा के दौरान ये पुण्य महकमा हरकत में आता था. राजा बीमार हो या प्रजा में कोई बीमारी फैली हो (कोरोना जैसी महामारी) तब भी ये पुण्य महकमा सक्रिय हो जाया करता था.

जयपुर में आज भी जारी है जरूरतमंदों की सेवा, Part-1

सवाई जय सिंह ने एक्टिव किया था : इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि जयपुर की स्थापना के बाद सवाई जय सिंह ने इस पुण्य महकमा को (Sawai Jai Singh Service Tradition for Poor) यहां भी एक्टिव कर दिया, जो जयपुर के 36 कारखानों में से एक हुआ करता था. सिटी पैलेस में मौज मंदिर सभा (धार्मिक संस्था) के अंडर में ये महकमा काम करता था. राजा के देहावसान पर होने वाले दान का ब्याज पुण्य महकमा में खर्च होता था.

जयपुर में आज भी जारी है जरूरतमंदों की सेवा, Part-2

पूर्व महाराजा माधो सिंह खुद आमजन से लेते थे जानकारी : पूर्व महाराजा माधो सिंह खुद रात में अपनी रियासत में निकलते थे और आमजन से पूछते थे कि उन्हें किस चीज की कमी है. उस समय पुण्य महकमा का नायाब उनके साथ रहता था. रात 9:00 बजे बाद जब चारदीवारी के गेट बंद हो जाते थे, तब पुण्य महकमा ये देखता था कि गेट के बाहर कौन रुका हुआ है ?. उसके पास खाने को है या नहीं. उसे जरूरत के हिसाब से भोजन, वस्त्र, रजाई-गद्दे उपलब्ध कराए जाते थे.

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24 स्थानों पर रखते थे सर्दी से बचाव के लिए सामग्री : उस दौर में सजा कठोर होने की वजह से कोई भ्रष्टाचार भी नहीं था. शीत ऋतु में अजमेरी गेट, सांगानेरी गेट और तीनों चौपड़ पर जगह-जगह अलाव भी जलाए जाते थे. पूर्व महाराजा रामसिंह के समय 24 ऐसे स्थान थे जहां बाहर से आने वालों के लिए सर्दी से बचने के रजाई-गद्दे रखे जाते थे. महिला अस्पताल, रामगंज बाजार, घोड़ा निकास रोड, छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ पर उस दौर में भी अस्थाई रैन बसेरे बनाए जाते थे. यही वजह है कि जयपुर गजट में सर्दी की वजह से मरने का कोई प्रकरण नहीं है.

जयपुर में जरूरतमंदों की सेवा...

आज भी निभा रहे परंपरा : जयपुर वासियों और राज्य सरकार ने राज परिवार की इस मुहिम को आज भी जारी रखा हुआ है. जयपुर वासी हेमेंद्र ने बताया कि ये कोई नई पहल नहीं है. बरसों पुरानी राज परिवार की पहल, उनके आदर्श और उनके संस्कारों का निर्वहन किया जा रहा है. राज्य सरकार गरीब निराश्रितों के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत काम कर रही है, लेकिन वो शहर के जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाते हुए ये काम कर रहे हैं. रेणु सिंह ने बताया कि जयपुर राइट्स होने के नाते यहां कोई सर्दी से परेशान न हो और भूखा न सोए, इस सोच के साथ जरूरतमंदों को कंबल बांटने और भोजन पहुंचाने का काम किया जा रहा है.

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20 से ज्यादा इंदिरा रसोई संचालित : राजधानी में आज 20 से ज्यादा इंदिरा रसोई संचालित हैं, जहां से महज 8 रुपए में जरूरतमंदों को भोजन मिल जाता है. शहर में 14 अस्थाई रैन बसेरा संचालित हैं, जहां सर्द रातों में लोगों को ठिठुरन से बचाने के लिए (Reality of Rain Basera in Rajasthan) सिर पर छत और रजाई गद्दे के साथ सोने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है. समय-समय पर सीएम से लेकर कई सामाजिक संस्था और शहर वासी गरीबों तक पहुंच कर कंबल भी बांटते हैं. इससे स्पष्ट है कि आज भी जयपुर की विरासत से जुड़े पुण्य महकमे की वो परंपरा बदस्तूर जारी है, बस चेहरे बदले हैं.

राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाएं कर रही मदद...

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