जयपुर. गोवा में समुद्र तट पर दो नाबालिग लड़कियों के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का विधानसभा में दिए बयान की आलोचना देश भर में हो रही है. मुख्यमंत्री ने बतौर गृह मंत्री के रूप में विधानसभा में कहा कि माता-पिता को यह आत्ममंथन करने की जरूरत है कि उनके बच्चे रात में इतनी देर तक समुद्र तट पर क्यों थे? 'जब 14 साल के बच्चे पूरी रात समुद्र तट पर रहते हैं तो माता-पिता को आत्ममंथन करने की जरूरत है. हम सिर्फ इसलिए ही सरकार और पुलिस पर जिम्मेदारी नहीं डाल सकते कि बच्चे नहीं सुनते.' प्रमोद सावंत के इस बयान की हर तरफ निंदा हो रही है. इस बीच राजस्थान में भी अलग-अलग वर्ग की महिलाओं ने कड़े शब्दों में निंदा की है.
इस मामले में फोर्टी महिला विंग की वाइस प्रेसिडेंट ललिता कुच्छल ने इस बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया. उन्होंने कहा कि एक तरफ हम समाज में बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं , एक सभ्य समाज में जीने की बात करते हैं और बेटी और बेटों को बराबरी देने की बात करते हैं. ऐसे में इसी सभ्य समाज में हम देखते हैं कि उच्च पदों पर बैठे जनप्रतिनिधि इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान दे कर देश की आधी आबादी का मजाक उड़ा रहे हैं.
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गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत जिनके पास प्रदेश के गृह विभाग का भी जिम्मा है वह विधानसभा में इस तरह का बयान देते हैं तो ये हैरान करने वाला है. उन्होंने कहा कि सीएम जिम्मेदारी को नहीं निभा पा रहे हैं तो मां-बाप को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उन्होंने सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि 'अगर आप प्रदेश की कानून व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं तो आप इस तरह से बयान नहीं दे सकते.
पुलिस विभाग और गृह विभाग जिनकी जिम्मेदारी प्रदेश के लोगों को सुरक्षा देना है. उनका इस तरह के ऊंचे पद पर बैठकर इस तरह की छोटी सोच के साथ बयान देना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है'. अगर किसी भी लड़की के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या वह उसकी गलती है कि वह घर से बाहर क्यों निकली. इस तरह के बयान दे कर आप अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं.
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जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते सीएम
कैनवास इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ़ स्कूल की फाउंडर हेमा हरचंदानी ने कहा कि गोवा के चीफ मिनिस्टर ने जिस तरह का बयान दिया है, ऐसे बयान देने वाले नेताओं की जरूरत नहीं है. बल्कि हमें ऐसी सरकार की जरूरत है जो लड़कियों की सुरक्षा की बात करे, उनको सुरक्षा दे सके. किसी और को जिम्मेदार ठहराना अपनी जिम्मेदारी से भागने का काम है. लड़कियों और महिलाओं को सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है, वह इस तरह अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते.
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मॉडल एण्ड राजस्थानी फिल्म कलाकार दीप्ति सैनी ने भी इस तरह के बयान की घोर निंदा की है. उन्होंने कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री का बयान गैरजिम्मेदाराना है. उन्होंने कहा कि क्या महिलाएं अपने देश में सुरक्षित नहीं है. अगर आप प्रदेश का जिम्मा नहीं संभाल पा रहे हैं , तो अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे देते हैं ? हमारा सवाल यही है अपराध करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं , उनको पकड़ने की बजाय आप अभिभावकों को उनकी जिम्मेदारी समझा रहे हैं. दीप्ति ने कहा कि वह महिलाओं से कहना चाहती हैं कि अगर उन्हें सुरक्षित रहना है तो उन्हें खुद अपनी आवाज उठानी होगी.
...तो क्या बाहर न जाएं महिलाएं?
राजस्थान पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह ने इस तरह के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि गोवा के गृह मंत्री का बालिकाओं से दुष्कर्म पर इस तरह का बयान दुखी करने वाला है. मुख्यमंत्री आरोपियों को पकड़ने की बजाए लड़कियों पर पाबंदी लगाने की बात कर रहे हैं. सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. प्रिया ने कहा कि 'मैं खिलाड़ी हूं, हम दिन-रात घर से बाहर जाते हैं, क्या हम बाहर नहीं जाएं, क्या लड़कियां घर से बाहर निकल कर घूम नहीं सकती? सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही है. सरकार की जिम्मेदारी है कि क्राइम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो. प्रिया ने कहा कि 'मुख्यमंत्री जी आप अपने बयान को समझिए आप क्या बोल रहे हैं, आज ओलंपिक में लड़कियां ही मेडल ला रही हैं, लड़कियां देश का नाम रोशन कर रही हैं'.
सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने कहा कि गोवा में दो बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म होता है. इस तरह के घिनौने कृत्य पर आरोपियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बजाय मुख्यमंत्री जिस तरह का बयान दे रहे हैं वह गैर जिम्मेदाराना है. इस तरह के बयान की जितनी निंदा की जाए वो कम है. इस तरह का बयान दे कर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से बचने का काम किया है. देश में बालिकाओं को आगे बढ़ने पर जोर देने की बात होती है, लेकिन जब मुख्यमंत्री ही इस जिम्मेदारी से बचेगा तो बालिकाओं की सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा?. मुख्यमंत्री अपने बयान पर देश की महिलाओं से माफ़ी मांगें.