जयपुर.नारी को शक्ति स्वरूपा कहा गया है और इसी शक्ति का परिचय देती हैं वन विभाग में कार्यरत महिला वनकर्मी सोनू मीणा, जो न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण करती है बल्कि खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है. पेश है यह खास रिपोर्ट...
आज देश में लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. अखिल भारतीय सेवाओं में आईपीएस, आईएएस, आईएफएस समेत हर पोस्ट पर महिलाएं काबिज हैं. राजस्थान वन विभाग में भी महिलाएं आगे आकर अब वनकर्मी और और दूसरे पदों पर भी सेवाएं दे रही हैं. भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वनपाल, सहायक वनपाल और वनरक्षक के पदों पर महिलाओं ने जिम्मेदारी उठा रखी है. जंगलों में महिला कर्मचारी ट्रैकिंग पर जाती हैं और पुरुषों के बराबर काम करती हैं. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, सरिस्का, रणथम्भौर और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश के अन्य जंगलों में महिलाएं काम कर रही (Woman forest worker in Wildlife Parks) हैं.
वन विभाग में महिलाओं ने बहुत अच्छे परिणाम दिए हैं. जंगलों में ज्यादातर महिलाएं लकड़ी काटने जाती हैं, जिनको रोकने में भी महिला वनरक्षकों का विशेष योगदान रहा है. महिलाएं वन विभाग में अपनी ड्यूटी को बखूबी से निभा रही हैं. वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए महिलाएं भी जंगलों में ड्यूटी कर रही है. महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर नारी शक्ति जंगलों की रक्षा भी करती है. नाहरगढ़ पार्क में तैनात महिला वनरक्षक सोनू मीणा ने बताया कि वन्यजीवों से पारिवारिक सदस्यों की तरह रिश्ता बना रहता है. ऐसे में जब वन्यजीव खाना पीना नहीं खाते हैं, तो काफी चिंता होती है. इसकी सूचना तुरंत अधिकारियों को दी जाती है. वन्यजीव चिकित्सक जीवों का इलाज करते हैं. वन्यजीव अठखेलियां देख खुशी मिलती है. वन्यजीवों और प्रकृति के बीच रहकर काफी अच्छा लगता है.
चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती हैं महिला वनकर्मी उन्होंने कहा कि महिलाओं को सभी कार्यों में आगे रहना चाहिए. महिलाओं के लिए कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है. महिला वनरक्षक अंजना कुमारी ने बताया कि रोजाना अभी ड्यूटी पर आकर वन्यजीवों की देखरेख करते हैं. उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि महिलाओं को वन विभाग ज्वाइन करना चाहिए, वन्यजीव और वनों की रक्षा करनी चाहिए. जंगल में ड्यूटी करने के दौरान समय पर अधिकारियों का मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहता है. महिलाएं अपने परिवार के पालन के साथ अपनी ड्यूटी को भी बखूबी से निभा रही हैं.
राजस्थान वन विभाग में कार्यरत महिला वनकर्मियों ने बताया कि ड्यूटी के दौरान काफी चुनौतियां होती हैं, लेकिन फिर भी चुनौतियों को स्वीकार कर अभी ड्यूटी को जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं. अधिकारियों का भी पूरा सहयोग मिलता है, समय-समय पर अधिकारी मनोबल बढ़ाते हैं. वन्यजीवों की सुरक्षा और वनों की सुरक्षा के साथ ही वन्यजीव संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम भी बखूबी से करते हैं. महिला कर्मचारी जंगलों में गश्त भी करती हैं.
वन विभाग राजस्थान में भारतीय वन सेवा में महिलाओं की भागीदारी काफी समय से है. लेकिन राजस्थान वन सेवा में सबसे पहले वर्ष 2014-15 में दो महिला अधिकारियों ने राज्य वन सेवा में बतौर सहायक वन संरक्षक के पद पर चयन होकर वन सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी की शुरुआत की. अधीनस्थ वन सेवा में वर्ष 1986 के बाद वर्ष 2011 तक फ्रंटलाइन स्टाफ के पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण महिलाओं को वन विभाग में अपनी क्षमता और कौशल का मौका नहीं मिला. लेकिन वर्ष 2011, 2013 और 2016 में वनपाल और वनरक्षक की भर्ती प्रतियोगी परीक्षा में महिलाओं का चयन हुआ. चयन होने के बाद महिलाओं का योगदान निरंतर रहा है. फ्रंटलाइन स्टाफ के रूप में कुछ महिला वनकर्मियों ने पूर्ण लगन और क्षमतापूर्वक प्रादेशिक वन क्षेत्रों के अलावा अन्य वन्यजीव क्षेत्रों में भी कार्य करने से अपनी पहचान स्थापित की है. इन्हीं प्रयासों से विभिन्न स्तर पर ऐसी कर्मठ महिला वनकर्मियों को पुरस्कृत भी किया गया है.
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकार ने वन विभाग में महिलाओं को फ्रंटलाइन स्टाफ में भर्ती करने के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण रखा है. वर्ष 2011 से लार्ज स्केल पर भर्ती प्रक्रिया चालू की गई. महिलाओं को वन विभाग में भर्ती हुए करीब 10 साल हो चुके हैं. पहले लोग सोचते थे कि महिलाएं दूरदराज जंगल क्षेत्रों में नहीं जा सकती है, अकेली गश्त नहीं कर पाती हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. महिलाएं भी पुरुषों के बराबर काम कर रही हैं.