जयपुर. राजस्थान में एक तरफ जहां मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज होने लगी है. वहीं, दूसरी तरफ सरकारी गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास मौजूद विभागों की सूची का मसला भी सुर्खियों में है. दरअसल विपक्ष लगातार ये मांग करता रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सरकार में अपनी मर्जी चलाने के लिहाज से महत्वपूर्ण विभागों का पोर्टफोलियो खुद ही रखें हुए हैं, जिसका असर राजस्थान की जनता और कामकाज में सीधे रूप से देखा जा रहा है.
दरअसल, वर्तमान में सीएम गहलोत के पास वित्त के अलावा गृह विभाग, कार्मिक विभाग, आबकारी, नीति नियोजन, सामान्य प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार, राज्य अन्वेषण ब्यूरो और न्याय जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं.
वहीं, सचिन पायलट की बगावत के बाद उनके पास मौजूद विभागों में से एक ग्रामीण विकास और पंचायती राज का कामकाज भी फिलहाल मुख्यमंत्री ही देख रहे हैं. हालांकि, विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर इस विभाग को किसी के खाते में नहीं रखा गया है. ऐसे में यही समझा जा रहा है कि पहले कार्यकाल में वित्त जैसे विभाग को पार्टी के किसी विधायक को सौंपने वाले अशोक गहलोत बाद में वसुंधरा राजे की राह पर चलने लगे, जिसका नतीजा है कि बीते डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त में अब मुख्यमंत्री ही खुद के पास वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी को रखते हैं.
पायलट का भी रहा है फोकस
जब अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के लिये मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे, तब सियासी हलको में इस बात की चर्चा थी कि वित्त या गृह विभाग में से कोई एक विभाग सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ मिल सकता है और इसकी सीधी वजह है कि सरकार में इन अहम महकमों की जिम्मेदारी के साथ ही संबंधित नेता के कद में इजाफा होता है. लेकिन, तब भी गहलोत ने ये विभाग अपने पास रखे थे और पार्टी के प्लेटफार्म पर इस मसले को लेकर अशोक गहलोत को उनके विरोधियों ने कई मर्तबा निशाने पर लेने की कोशिश की थी.