जयपुर. राजधानी में मानसून की पहली बारिश में आकाशीय बिजली गिरी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई. अभी भी राजधानी सहित उत्तरी राजस्थान में ऑरेंज अलर्ट जारी है. इसके अनुसार प्रशासन को अतिवृष्टि के लिए तैयार रहने की जरूरत है.
इस पर जेडीसी गौरव गोयल ने कहा कि बारिश से पहले फ्लड मैनेजमेंट, डिजास्टर मैनेजमेंट और वाटर हार्वेस्टिंग के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया गया. बनीपार्क में बने कंट्रोल रूम में मिट्टी के कट्टे, इक्विपमेंट और मैन पावर लगाने का काम किया गया.
जयपुर के पास हादसे रोकने का क्या प्लान है... इसके अलावा 350 रेन वाटर हार्वेस्टिंग शाफ्ट, उनकी मेंटेनेंस पूरा किया गया. ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राउंडवाटर रिचार्ज किया जा सके और बीते साल 14 अगस्त की तेज बारिश में जोन 10 आगरा रोड, दिल्ली रोड और दूसरे स्थानों पर जलजमाव की स्थिति बनी थी और ज्यादा नुकसान हुआ. ऐसे पॉइंट्स को समय से चिन्हित कर वहां मेंटेनेंस वर्क किए गये हैं.
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हालांकि अतिवृष्टि के दौरान शहर के कुछ पॉइंट की सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. द्रव्यवती नदी से लगते हुए शहर में कई ऐसे लिंक रोड हैं, जिन्हें अनदेखी के चलते आज तक मुख्य सड़क के समानांतर ऊंचा नहीं किया गया. यही वजह है कि बारिश के समय यहां यातायात पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है. ये हालात दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. इसके साथ ही शहर का करतारपुरा नाला तो कभी अपने साथ कार को बहा ले जाता है, तो कभी मोटरसाइकिल को.
इन हादसों के बावजूद प्रशासन महज निचली पुलियाओं पर साइनेज बोर्ड लगाए जाने और डायवर्जन रूट एक्टिवेट करने की बात कह रहा है. इसके अलावा स्टैंड बाय पंप और दूसरी व्यवस्था की जा रही हैं. ताकि अतिवृष्टि के दौरान तत्काल समस्या को निस्तारित किया जा सके. आपको बता दें कि दुर्गापुरा से मानसरोवर जाने वाला महारानी फार्म लिंक रोड, सहकार मार्ग से लगता हुआ करतारपुरा नाला और हसनपुरा क्षेत्र में द्रव्यवती नदी का मुहाना ऐसे पॉइंट है, जो अतिवृष्टि में हादसों को न्योता देते दिखते हैं.