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वन्यजीव गोद योजना : क्या आप लॉयन या टाइगर गोद लेना चाहेंगे, खर्च करने होंगे सालाना 5 लाख...25 हजार में चिंकारा भी ले सकते हैं गोद

राजस्थान वन विभाग वन्यजीवों के संरक्षण के लिए वन्यजीव को गोद देने की योजना शुरू कर रहा है. प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. योजना स्वीकृत हुई तो कोई भी व्यक्ति वन्यजीव को गोद ले सकेगा. बस वन्यजीव के खर्चे उठाने होंगे. एंक्लोजर के बाहर गोद लेने वाले की नेमप्लेट भी लगेगी.

वन्यजीव गोद योजना
वन्यजीव गोद योजना

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Published : Jul 23, 2021, 6:28 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 9:35 PM IST

जयपुर. राजस्थान वन विभाग वन्यजीवों के संरक्षण के लिए वन्यजीव को गोद देने की योजना पर काम कर रहा है. योजना के तहत पिंजरे में कैद वन्यजीव को आम व्यक्ति गोद ले सकेगा.

शेर, बाघ, बघेरा, दरियाई घोड़ा, हिरण, शुतुरमुर्ग, मगरमच्छ समेत सभी वन्यजीवों को आमजन या संस्था गोद ले सकेगी. वन्यजीवों को गोद लेने वालों को उस वन्यजीव का खर्च उठाना होगा. वन्यजीव को गोद देने की योजना का प्रस्ताव वन विभाग ने राज्य सरकार को भेजा है. वन विभाग राज्य सरकार की स्वीकृति का इंतजार कर रहा है.

वन्यजीव गोद लेने की योजना का प्रस्ताव सरकार के पास, स्वीकृति का इंतजार

प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति, संस्था, कॉरपोरेट कंपनी, भामाशाह या वन्यजीव प्रेमी वन्यजीव को गोद ले सकेगा. जानकारों की मानें तो साउथ के अधिकतर बायोलॉजिकल पार्कों में वन्यजीव प्रेमी एनिमल्स को गोद लेते हैं. इसके लिए करीब 1 साल तक उन्हें वन्यजीवों के खाने-पीने का खर्च उठाना पड़ता है. अब राजस्थान में भी लोग वन्यजीवों को गोद ले सकेंगे.

किस वन्यजीव पर सालाना कितना खर्च

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दरियाई घोड़ा सबसे ज्यादा भोजन करने वाला वन्यजीव है. दरियाई घोड़े के खाने का सालाना खर्च 10 लाख रुपये है. लॉयन और टाइगर का करीब 5 लाख, पैंथर का सवा लाख, भालू का 1 लाख, भेड़िया सियार लोमड़ी और जरख की खुराक का सालाना खर्च करीब 1 लाख रुपए है. जबकि काला हिरण, चिंकारा, सांभर, चीतल, हिरण का सालाना खर्च 25 हजार रुपये है.

वन विभाग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव

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जयपुर में 25 प्रजाति के 170 वन्यजीव मौजूद

राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और चिड़ियाघर में 25 प्रजातियों के 170 वन्यजीव हैं. वन्यजीव गोद लेने वाले इच्छुक को 6 महीने, 1 साल या 2 साल के लिए वन्यजीव का खर्च उठाना होगा. गोद लेने वाले को वन्यजीव के एंक्लोजर, फीडिंग खर्च उठाने होंगे. गोद लेने वाला व्यक्ति बायोलॉजिकल पार्क या चिड़ियाघर में आकर अपने जानवर की जानकारी ले सकता है. इच्छुक अपनी पसंद का टाइगर, लॉयन, पैंथर, मगरमच्छ या किसी भी वन्यजीव को गोद ले सकता है. वन विभाग वन्यजीव के नाम और उन पर होने वाले खर्च की लिस्ट बना रहा है.

दरियाई घोड़ा महंगा पड़ेगा, सालाना 10 लाख होंगे खर्च

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वन्यजीवों को गोद लेने की प्रक्रिया

एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि वन्यजीव को गोद लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति/संस्था को आवेदन करना होगा. भामाशाह, संस्था, कॉरपोरेट कंपनी, फैमिली, पर्सनली या वन्यजीव प्रेमी इन वन्यजीवों को गोद ले सकते हैं. इसके लिए वन विभाग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही वन्यजीवों को गोद दिया जाएगा. इसके लिए एक फॉर्म भरना होगा. फॉर्म पर अपनी फोटो लगानी होगी. इसके बाद वन्यजीव के देखरेख की खर्च राशि वन विभाग के अकाउंट में जमा करवानी होगी.

वन्यजीवों के 1 साल, 2 साल या 6 महीने का खर्च एक साथ जमा करवाना होगा. आवेदन में बताना होगा कि वे कौन सा वन्यजीव गोद ले रहे हैं. गोद लेने वाले व्यक्ति या संस्था की नेम प्लेट और पता एंक्लोजर के बाहर लगाया जाएगा. गोद लेने वाले लोगों को चिड़ियाघर में कंप्लीमेंट्री विजिट भी दी जाएगी. वे अपने वन्यजीव को आकर संभाल सकते हैं.

लॉयन को गोद लेना है तो सालाना खर्च करने होंगे 5 लाख

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि वन्यजीवों को गोद देने की प्रक्रिया चल रही है. प्रस्ताव विभाग की ओर से सरकार को भेजा गया है. इस योजना से लोगों का वन्यजीवों के प्रति लगाव बढ़ेगा. वन और वन्यजीव सुरक्षित होंगे. जंगल हरे भरे रहेंगे तो देश भी हरा भरा रहेगा.

Last Updated : Jul 23, 2021, 9:35 PM IST

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