जयपुर. हाल ही में जयपुर ट्रैफिक पुलिस (Jaipur Traffic Police) ने शहर में नो हॉन्किंग अभियान की शुरुआत की थी जो पूरी तरह से असफल साबित हुआ है. इसी प्रकार से पूर्व में शुरू किए गए अनेक अभियान भी पूरी तरह से असफल रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस लगातार अभियान चलाती है, लेकिन उसके बावजूद भी शहरवासियों को यातायत की समस्याओं से निजात नहीं मिल पाती है.
ट्रैफिक पुलिस के अभियानों के लगातार फेल होने के पीछे क्या कारण है, जब इसे लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि अभियान को लेकर व्यवहारिक आकलन की कमी और फीडबैक के अभाव में यह तमाम अभियान फेल हो रहे हैं. पुलिस द्वारा जो अभियान शुरू किया जा रहा है, उसके साथ आमजन को किस तरह से जोड़ा जाए या उसका आमजन को क्या फायदा होगा, इन तमाम चीजों पर अभियान को शुरू करने से पहले गौर नहीं किया जाता है.
पुलिस द्वारा प्रचार की दृष्टि से इन अभियानों की शुरुआत की जाती है, जिसके चलते यह अभियान सफल नहीं हो पाते हैं. इसके साथ ही आमजन में ट्रैफिक पुलिस की छवि एक भ्रष्ट पुलिस के रूप में बनी हुई है. जिसे सुधारने की दिशा में आला अधिकारियों द्वारा भी कोई अहम कदम नहीं उठाया जाता है और आमजन भी ट्रैफिक पुलिस के अभियान को नवाचार के रूप में न देखकर वसूली के नए तरीकों के रूप में देखती है. वहीं, किसी भी अभियान को शुरू करने से पहले न तो उस अभियान को लेकर जनता से फीडबैक लिया जाता है और न ही ट्रैफिक पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों व पुलिसकर्मियों से राय ली जाती है. आला अधिकारी द्वारा अपने स्तर पर एक राय होकर नए अभियान की शुरुआत कर दी जाती है, जिसका कुछ ही समय बाद दम निकल जाता है.