राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

राजस्व अदालतों में पीठासीन अधिकारी के तौर पर प्रशासनिक अधिकारी क्यों: हाईकोर्ट - Rajasthan High Court News

राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिका पर सुनवाई की. याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है.

Public against corruption,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट

By

Published : Apr 22, 2021, 7:46 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि राजस्व अदालतों में पीठासीन अधिकारी के तौर पर प्रशासनिक अधिकारी या गैर न्यायिक अधिकारियों को क्यों नियुक्त किया जाता है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

पढ़ें-राजस्थान: अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर पत्र याचिका, कल होगी सुनवाई

याचिका में अधिवक्ता टीएन शर्मा और पीसी भंडारी ने बताया कि प्रदेश की राजस्व अदालतों में पीठासीन अधिकारियों के रूप में प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इन अदालतों में पैरवी करने वाले कानून के डिग्रीधारी अधिवक्ता होते हैं, लेकिन दोनों पक्षों की बहस सुनकर फैसला देने वालों को कानून का ज्ञान होना या कानून की डिग्री रखना जरूरी नहीं है. इन अदालतों के पीठासीन अधिकारी अधिकतर अपने दूसरे प्रशासनिक काम में व्यस्त रहते हैं और मुकदमों की सुनवाई में देरी होती है. वहीं, कई मामलों में तो कोर्ट के रीडर ही फैसला कर देते हैं.

याचिका में कहा गया कि राजस्व अदालतों में भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है. पीठासीन अधिकारी मनमर्जी के फैसले कर किसानों को न्याय नहीं दे पा रहे हैं. याचिकाकर्ता की ओर से करीब छह महीने पहले एसीबी को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान दिलाया गया था. इसके बाद एसीबी ने हाल ही में कार्रवाई कर रेवेन्यू बोर्ड के अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया. याचिका में गुहार की गई है कि राजस्व अदालतों में न्यायिक अधिकारियों को ही नियुक्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details