जयपुर. एक मामले में सुनवाई के दौरान मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा कि आजीवन कारावास की सजा पूरी होने के बाद (Eligibility of a sentenced prisoner) पूर्व कैदी को सरकारी सेवा के लिए पात्र माना जाए या नहीं ? याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने अध्यापक लेवल प्रथम भर्ती की वरीयता सूची में स्थान हासिल किया था.
वहीं, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने उसे यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि वह हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत चुका है. याचिका में कहा गया कि भर्ती विज्ञापन में यह नहीं कहा गया था कि हत्या के आरोप में सजा काट चुके व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जाएगी, बल्कि विज्ञापन में सिर्फ नैतिक आचरण के अपराधों के संबंध में कहा गया था और हत्या का आरोप (Rajasthan High Court Verdict) नैतिक आचरण का अपराध नहीं है.