जयपुर. मानसरोवर इलाके में उचित मूल्य की दुकानदारों द्वारा गेहूं का गबन का सिलसिला लगातार जारी है. ऐसे ही एक मामला दुकान नंबर 586 नंबर की उचित मूल्य की दुकान का देखने को मिला है. एक ही नाम से 2 एपीएल राशन कार्ड बने हुए हैं, जिनसे लगातार गेहूं लिया जा रहा है. दोनों राशनकार्ड से एक ही उचित मूल्य की दुकान से गेहूं लिया जा रहा है. आरोप है कि एक फर्जी राशन कार्ड से राशन डीलर गेहूं का गबन कर रहा है.
APL के फर्जी राशनकार्ड से उठ रहा गेहूं आसनदास कीरतानी के नाम से एक एपीएल राशन कार्ड बना हुआ है, जिसके नंबर 200001885717 है. इस राशन कार्ड में 5 सदस्य हैं और इस राशन कार्ड से 22 जून 2016 से 8 मई 2020 तक लगातार गेहूं उठाया जा रहा है. इस राशन कार्ड में भारत पेट्रोलियम का उपभोक्ता दिखाया गया है, जिसका क्रमांक 230066 है.
आसनदास कीरतानी के नाम से एक अन्य फर्जी एपीएल राशन कार्ड भी बना हुआ है, इस राशन कार्ड का नंबर 119002701393 है. यह राशन कार्ड भी 5 सदस्यों का बना हुआ है. इस राशन कार्ड से 23 अक्टूबर 2016 से 8 मई 2020 तक लगातार गेहूं लिया जा रहा है.
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उचित मूल्य दुकानदार ने रसद विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर आसनदास के नाम से पांच सदस्यों का फर्जी राशन कार्ड बनाया गया है. इस राशन कार्ड में केरोसिन उठाने के लिए उसमें गैस कनेक्शन को भी छुपाया गया है. राशन कार्ड नंबर 119002701393 फर्जी राशन कार्ड से उचित मूल्य की दुकान नंबर 586 के डीलर द्वारा 975 किलो गेहूं और साढ़े 17 लीटर केरोसिन का गबन किया गया है.
APL के फर्जी राशनकार्ड से उठ रहा गेहूं इसी तरह से दुकान नंबर 195 के डीलर इस फर्जी राशन कार्ड से 5 लीटर केरोसिन का गबन किया गया है. दोनों ही राशन डीलर एक ही परिवार के सदस्य हैं. संभावना जताई जा रही है कि ऐसे कई और भी फर्जी राशन कार्ड हो सकते हैं, जिससे उचित मूल्य के दुकानदारों द्वारा गबन किया जा रहा है.
ट्रांजेक्शन के समय में नहीं है ज्यादा अन्तर
दोनों की एपीएल राशनकार्ड के ट्रांजेक्शन को देखा जाए, तो समय और दिन में ज्यादा अंतर नहीं है. अधिकतर ट्रांजेक्शन एक ही दिन और कुछ ही मिनट का अंतराल पर किए गए हैं.
40 साल से दोस्त चला रहा है, राशन की दुकान
मानसरोवर इलाके में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कुछ दुकाने ठेके पर भी दी जा रही है. यहां कई ऐसी राशन की दुकानें हैं, जिनका लाइसेंस किसी और के नाम से है और उसे चला कोई और रहा है. नियमानुसार उचित मूल्य की दुकान का लाइसेंस जिसके नाम से है, उसी को ही राशन की दुकान चलानी होती है. दुकान नंबर 585 मनोज शर्मा के नाम से है और उसे भागीरथ गोयल चला रहा है. भागीरथ गोयल ने कहा कि मनोज उनका दोस्त है. दुकान चलाने पर वह कुछ कमीशन उसे देता है.
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वहीं उपभोक्ताओं का कहना है कि मनोज शर्मा यहां नहीं रहता है. यह दुकान भागीरथ करीब 40 साल से चला रहा है. जिला रसद अधिकारी कनिष्क सैनी ने बताया कि यदि राशन की दुकान लाइसेंसधारी का रिश्तेदार भी चलाता है तो भी वह दुकान अवैध मानी जाती है. इस दुकान के उपभोक्ता पूरा माल नहीं देने की शिकायत भी कर चुके हैं. जयपुर शहर की बात की जाए तो ऐसी कई दुकानें है, जहां लाइसेंसधारियों ने अपनी दुकानें ठेके पर दी हुई है और उसी हिसाब से वह अपना कमीशन भी तय करते हैं.
शिकायतों पर जिला प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
मानसरोवर इलाके में कई राशन डीलर उपभोक्ताओं को कम राशन दे रहे हैं. अधिकतर ये वे लोग हैं जो अनपढ़ हैं या बुजुर्ग हैं. कम राशन मिलने पर शिकायत भी करते हैं, लेकिन इन शिकायतों पर ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है. कुछ उपभोक्ताओं ने तो जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में भी शिकायत की है, लेकिन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. ऐसे भी कई उपभोक्ता है, जो दो से तीन बार अपनी शिकायत जिला प्रशासन तक पहुंचा चुके हैं.