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पंचायत चुनाव परिणाम: कांग्रेस और भाजपा की वंशवाद की बेल कहीं मुरझाई तो कहीं खिली - dynastic candidates in panchayat election

प्रदेश में 8 दिसंबर को 21 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के नतीजे सामने आए. इस बार के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने जमकर वंशवाद को बढ़ावा दिया. लेकिन जनता ने कहां वंशवादी उम्मीदवारों को सिर माथे बैठाया और कहां नकारा पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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कांग्रेस और भाजपा की वंशवाद की बेल कहीं मुरझाई कहीं खिली

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Published : Dec 8, 2020, 11:09 PM IST

जयपुर.राजस्थान में 8 दिसंबर को 21 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के नतीजे सामने आए. प्रदेश में अब 21 जिलों में 222 पंचायत समितियों के जीते हुए सदस्य प्रधान और 21 जिलों के पंचायत समिति सदस्य जिला प्रमुख का चुनाव करेंगे. लेकिन बता दें कि राजस्थान में चाहे सत्ताधारी दल कांग्रेस हो या विपक्षी दल भाजपा दोनों ही पार्टियों में वंशवाद और परिवारवाद की बेल इन चुनाव में जमकर लगाई थी. हालांकि इनमें से परिवारवाद से आने वाले कई नेताओं को जनता ने नकार दिया है. लेकिन ज्यादातर नेताओं को जनता ने अपने सिर माथे पर बैठाया है.

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राजस्थान में 21 जिलों में जो नेता पहले खुद विधायक या मंत्री रह चुके हैं या विधायक सांसद रहते अपने परिजनों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे थे. इन चुनाव में सबसे ज्यादा नजर जैसलमेर से मंत्री साले मोहम्मद के भाई और यूथ कांग्रेस के वर्तमान उपाध्यक्ष अमरदीन फकीर का निर्दलीय चुनाव लड़ना और हार जाना तो मंत्री साले मोहम्मद के परिवार से पांच सदस्यों का चुनाव लड़ना जैसलमेर से ही विधायक रूपाराम के बेटे और बेटी का चुनाव लड़ना तो वहीं बीकानेर से विधायक गोविंद राम मेघवाल के परिवार के सदस्यों का चुनाव जीतना और उनके सामने चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के बेटे का चुनाव हार जाना रहा है.

झुंझुनू में भाजपा सांसद की पुत्रवधू जीती

कहां खिली कहां मुरझाई वंशवाद की बेल

अजमेर में कांग्रेस से पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री रही नसीम अख्तर इंसाफ खुद और उनकी पुत्रवधू बुशरा नूर ने पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और दोनों ने जीत दर्ज की है. किशनगढ़ से पूर्व विधायक रहे नाथूराम सिनोदिया के पोते रवि चुनाव में जीत गए हैं, वहीं प्रदेश के मुख्य सचिव निरंजन आर्य की बहन निर्मला डांगी भी पंचायत समिति की सदस्य चुनी गई हैं. भाजपा की ओर से पूर्व विधायक और जिला प्रमुख रही सुशील कंवर पलाड़ा भी चुनाव मैदान में थी और इन्होंने भी जीत दर्ज की है.

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झुंझुनू में कांग्रेस की तरफ से मंडावा से विधायक और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे चौधरी राम नारायण की पत्नी परमेश्वरी देवी जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीत गई हैं. विधायक विजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीत गए हैं. वहीं भाजपा सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू हर्षनी कुलहरी जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीत गई है.

नागौर में क्या रहा परिणाम

नागौर से कांग्रेस के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी की पत्नी और निवर्तमान जिला प्रमुख सुनीता चौधरी ने जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार जनता ने सुनीता चौधरी को नकार दिया है और वह चुनाव हार गई है.

जैसलमेर में साले मोहम्मद का भाई चुनाव हारा

जैसलमेर में साले मोहम्मद के भाई की हार

जैसलमेर के जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव इस बार खासे ही रोचक थे क्योंकि मंत्री साले मोहम्मद के परिवार के 6 सदस्य चुनाव मैदान में थे. इनमें से मंत्री के भाई और युवा कांग्रेस के वर्तमान उपाध्यक्ष अमरदीन फकीर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके हैं. हालांकि अमरदीन की पत्नी जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीत गई है.

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साले मोहम्मद के भाई अब्दुल्ला फकीर जो पहले जिला प्रमुख रह चुके हैं वह चुनाव जीत गए हैं तो साले मोहम्मद के भाई अमीन की पत्नी सलिमत भी पंचायत समिति चुनाव जीत गई है. ऐसा नहीं है कि केवल जैसलमेर से साले मोहम्मद का परिवार ही चुनाव मैदान में था बल्कि विधायक रूपाराम की बेटी और पूर्व जिला प्रमुख अंजना मेघवाल और उनके बेटे हरीश मेघवाल भी पंचायत समिति सदस्य के रूप में चुनावी मैदान में थे जो चुनाव जीत गए.

सीकर में क्या रहा वंशवादी उम्मीदवारों का

सीकर में कांग्रेस से निर्दलीय विधायक महादेव खंडेला के बेटे डॉक्टर गिर्राज सिंह खंडेला और पुत्रवधू मीनाक्षी पंचायत समिति सदस्य के तौर पर चुनावी मैदान में थे और दोनों ने ही जीत दर्ज कर ली है.
भाजपा से पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा की पत्नी शांति देवी और बेटे दुर्गा सिंह खर्रा चुनावी मैदान में थे, इनमें से खर्रा की पत्नी शांति देवी तो चुनाव जीत गई लेकिन बेटे दुर्गा सिंह खर्रा चुनाव हार गए.
भाजपा से नीमकाथाना के पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजोर की पुत्रवधू तो चुनाव जीत गई लेकिन उनके भतीजे की पत्नी चुनाव हार गई है.

अर्जुन राम मेघवाल का बेटा चुनाव हारा

बीकानेर में कांग्रेस का वंशवाद भाजपा पर पड़ा भारी

बीकानेर में इस बार का चुनाव खासा हाई वोल्टेज वाला रहा. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और कांग्रेस विधायक गोविंद राम मेघवाल के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा था. गोविंद राम मेघवाल की बेटी सरिता चुनाव जीत गई हैं तो गोविंद मेघवाल की पत्नी आशा देवी भी चुनाव जीत गई है तो गोविंद मेघवाल के बेटे ने भी चुनाव में जीत दर्ज की है. भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन लाल मेघवाल के बेटे रवि शेखर मेघवाल भी जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ रहे थे लेकिन गोविंद मेघवाल की पत्नी आशा देवी के सामने जनता ने उन्हें नकार दिया.

उदयलाल आंजना का भाई विजयी

चित्तौड़गढ़ में कांग्रेसी मंत्री उदयलाल आंजना के भाई मनोहर आंजना भी चुनाव जीत गए. वहीं भाजपा विधायक अर्जुनलाल जीनगर के भाई की पत्नी चुनाव हार गई. भीलवाड़ा में कांग्रेस के पूर्व विधायक धीरज गुर्जर की मां और पत्नी ने पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीत लिया है. उदयपुर में कांग्रेस के पूर्व विधायक सज्जन कटारा और पुष्कर डांगी पंचायत समिति सदस्य चुन लिए गए हैं तो डूंगरपुर से भाजपा सांसद कनक मल कटारा के बेटे नयन कटारा जिला परिषद सदस्य का चुनाव हार गए हैं.

भंवरलाल मेघवाल की पत्नी निर्विरोध जीती

बांसवाड़ा में कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक महेंद्रजीत मालवीय की पत्नी पूर्व जिला प्रमुख रेशम मालवीया और मंत्री अर्जुन बामणिया के बेटे चुनाव जीत गए हैं. चूरू से पूर्व कांग्रेसी मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की पत्नी केसर देवी को पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी बनाया था वह निर्विरोध चुनाव जीत गई थी. वहीं विधायक भंवरलाल शर्मा की पत्नी मनोहरी देवी चुनाव हार गई है तो उनके बेटे केसरी चंद चुनाव जीत गए हैं. हनुमानगढ़ के पीलीबंगा से विधायक रही द्रोपदी मेघवाल चुनाव हार गई हैं.

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