जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव, डीजीपी और प्रमुख वन सचिव सहित परिवहन आयुक्त से पूछा है कि प्रदेश के थानों में जब्त रखे वाहनों के निस्तारण के लिए क्या किया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण को अवैध बजरी खनन के मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के साथ 22 अक्टूबर को सूचीबद्ध करने के लिए भी आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश महेश झालानी की जनहित याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता के वकील सतीश खंडेलवाल यह भी पढ़ें:HC का फैसला है निकाय चुनाव होंगे, इसमें कहां दिक्कत है : धारीवाल
याचिका में अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि प्रदेश के सभी थानों में अरबों रुपए के वाहन कई सालों से जब्त पड़े हुए हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट सभी राज्यों को इन वाहनों का तय समय में निस्तारण के आदेश दे चुका है. इसके अलावा आदेश की पालना नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट कठोर कार्रवाई की चेतावनी भी दे चुका है.
याचिका में कहा गया कि सालों तक खुले में पड़े रहने के चलते ये वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं.
बाद में न तो यह रोड पर चलने लायक रहते हैं, बल्कि इनसे दुर्घटनाएं होने का खतरा भी रहता है. याचिका में गुहार लगाई गई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में इन वाहनों का तय समय पर निस्तारण करने की व्यवस्था की जाए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.