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डब्ल्यूडीआरए के पंजीकृत निजी भंडार गृहों को उप मण्डी का दर्जा, ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना - हिंदी न्यूज

डब्ल्यूडीआरए के पंजीकृत निजी भण्डार गृहों को उप मण्डी का दर्जा दिया गया. इससे किसानों को कृषि उपज बेचने का गुणवत्ता आधारित विकल्प उपलब्ध होने के साथ बैंकों से ऋण प्राप्त करने और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य हासिल करने की सुविधा मिल सकेगी. बता दें कि ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना.

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डब्ल्यूडीआरए के पंजीकृत निजी भण्डार गृहों को उप मण्डी का दर्जा

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Published : May 12, 2020, 10:51 PM IST

जयपुर.कृषि विपणन विभाग ने वेयरहाउस डवलपमेंट एण्ड रेग्यूलेट्री ऑथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) की ओर से पंजीकृत निजी भण्डार गृहों को उप मण्डी प्रांगण का दर्जा प्रदान किया है. इससे किसानों को कृषि उपज बेचने का गुणवत्ता आधारित विकल्प उपलब्ध होने के साथ बैंकों से ऋण प्राप्त करने और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य हासिल करने की सुविधा मिल सकेगी. ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है.

कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव नरेशपाल गंगवार ने बताया कि राज्य के किसानों को अपनी उपज के विक्रय के लिए वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराने तथा कोविड-19 महामारी के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए मण्डी प्रांगणों में सामाजिक दूरी बनाये रखना आवश्यक है. इस दिशा में कदम उठाते हुए डब्ल्यूडीआरए की ओर से पंजीकृत निजी भण्डार गृहों को भी उप मण्डी प्रांगण का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए राजस्थान कृषि उपज मंडी नियम, 1963 के नियम 56क के उप नियम 2 में ऐसे प्रांगणों की स्थापना के लिए प्रावधित 5 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता के प्रावधान में शिथिलता दी गई है.

इसके साथ ही कृषि विपणन विभाग की ओर से 8 अप्रैल को जारी निजी उप मण्डी यार्ड के संचालन के लिए निर्धारित प्रक्रिया एवं दिशा-निर्देश के बिन्दु संख्या 11 में प्राईवेट उप मण्डी यार्ड के लिए प्रावधित प्रतिभूति राशि 15 लाख रुपए जमा कराये जाने की शर्त में भी शिथिलता प्रदान की गई है. इस प्रकार का प्रावधान करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. कृषि विपणन विभाग के निदेशक ताराचंद मीना ने बताया कि सरकार के इस कदम से किसानों को कृषि उपज विक्रय का गुणवत्ता आधारित विकल्प उपलब्ध होगा. जिसके माध्यम से किसान अपनी उपज की असेयिंग, ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग के पश्चात वेयर हाउस में रख सकेंगे.

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किसानों की ओर से भण्डार गृह में भण्डारित कृषि उपज की एवज में इलेक्ट्रॉनिक वैयरहाउस रिसीट जारी की जाएगी. इडब्लयूआर के आधार पर बैंकों से ऋण प्राप्त किया जा सकेगा. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य प्राप्त होने पर सही समय पर अपनी फसल बेच सकेगा. केंद्र सरकार की ई-नाम परियोजना के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक निलामी के माध्यम से कृषि जिन्सों के विक्रय का पारदर्शी विकल्प उपलब्ध रहेगा.

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