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SPECIAL: योग से कोरोना को हराने की मुहिम, कोविड के मरीजों को सिखा रहे योग...महामारी को मात दे चुके जयपुर के विनीत

जयपुर के विनीत शर्मा इस वक्त अपने योग की कला से कोरोना पीड़ित मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ा रहे हैं. खुद कोरोना संक्रमित रह चुके विनीत हर दिन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 50 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव रोगियों को निशुल्क योग सिखा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

योगा से कोरोना का उपचार, Treatment of corona with yoga
योगा से कोरोना को हराने का प्रयास

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Published : May 15, 2021, 3:02 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी की चारों तरफ से आ रही नकारात्मक खबरों के बीच कुछ अच्छी खबरें भी हैं. कहते है ना कि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाता हैं. ऐसे ही एक जयपुर के योग टीचर जो खुद कोरोना संक्रमित हुए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और ठीक हो कर हर दिन 50 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव रोगियों को निशुल्क योग सिखाकर ना सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ा रहे हैं, बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद कर रहे है.

योगा से कोरोना को हराने का प्रयास

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सेवा परमो धर्म का ऐसा ही एक उदाहरण पेश कर रहे है जयपुर के योग शिक्षक विनीत शर्मा, विनीत पिछले दिनों खुद कोरोना संक्रमित हो गए, लेकिन जज्बा कम नहीं हुआ. कोविड को हराया फिर शुरू हो गए जनसेवा करने में. विनीत हर दिन अलग अलग अस्पताल और घरों में जा जाकर कोविड मरीजो को निशुल्क योग सिखा रहे हैं. विनीत हर दिन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 50 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव रोगियों को निशुल्क योग सिखा रहे है.

डॉ. विनीत शर्मा

विनीत ने बताया कि योग में कई ऐसी क्रिया है जिनके जरिए आप ना केवल आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह हर दिन लगभग 50 के करीब कोरोना पॉजिटिव मरीजों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योग के जरिए उनको ठीक होने में मदद कर रहे हैं. विनीत बताते हैं कि कोविड पॉजिटिव मरीजों की कोरोना हेल्थ प्रोटोकॉल की पालना के साथ-साथ योग करने से उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ है. इसको लेकर कई कोविड हॉस्पिटल से भी उनके पास लगातार डिमांड बढ़ रही है. विनीत कहते हैं कि प्रदेश में कई लोग हैं जो योग सिखाते हैं ऐसे में यह वक्त है कि हम लोगों की निस्वार्थ भाव से मदद के लिए आगे आए.

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विनीत के इस नेक काम में उनकी योगा सहयोगी रश्मि भी उनका साथ दे रही है. रश्मि बताती हैं कि यह सब कठिन परीक्षाओं का वक्त है. जिसे हम सब को एक दूसरे के साथ मिलकर सहयोग करके आगे बढ़ना है. योग एक ऐसा माध्यम है जिससे हम हर रोज ठीक करने में सफल हो सकते हैं. वहीं, कोरोना संक्रमित पीड़ितों की माने तो योग से मिल रहे आत्मविश्वास से उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है. पहले जब सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, लेकिन अब कई ऐसे योगा आसन है जिनकी वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है.

डॉ. विनीत ठाकुर भोग सेवा का नाम की रसोई भी चला रहे

विनीत का कहना है कि पिछले एक साल से कड़ी मेहनत करके वह कोरोना संक्रमितों को योगा सिखा रहे है. इन एक साल में करीब 500 से ज्यादा संक्रमित पूरी तरह स्वस्थ्य हो चुके हैं. पूर्व में कुछ रोगियों को तकलीफ थी, लेकिन प्राणायाम, योगाभ्यास से आज वे पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. प्राचीन काल में साधु संत, महापुरुष, ऋषि मुनी, राजा महाराजा नियमित रूप से योगाभ्यास किया करते थे. इसलिए वे एकदम स्वस्थ्य और दीर्घायु प्राप्त करते थे. आज भी नियमित योग करने से आत्मविश्वास बढ़ता हैं बल्कि शरीर में रक्तसंचरण, श्वसन तंत्र बेहतर हैं. शरीर में स्फूर्ति रहती हैं, याददाश्त, आंखों की रौशन बढ़ती है. शरीर निरोग रहता हैं. विनीत के इस तरह के प्रयास से कोविड अस्पताल के डॉक्टर भी काफी खुश हैं.

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उनका कहना है कि कोविड के दौरान मरीज डिप्रेशन में चल जाता है , उसका आत्मविश्वास टूटने लगता है , लेकिन जोग ऐसा माध्यम है जिससे मासिक सोच में वदलाव आता है इसका पॉजिटिव रिजल्ट सामने आ रहे है. विनीत स्थानीय लोगों की मदद से ठाकुर भोग सेवा का नाम की रसोई भी चला रहे हैं. इसी नाम के सहारे गरीब और असहाय लोगों के मदद की जा रही है. हर दिन आपसी सहयोग से राशि और खाद्य सामग्री एकत्रित कर प्रतिदिन सुबह-शाम लगभग 450 से 500 लोगों को भोजन करवाया जा रहा है. खास तौर पर कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए पौष्टिक खाना बना कर खुद उन तक पहुंचाते हैं.

योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मिल रही मदद

काम तो सब करते हैं, लेकिन जीवन कभी कभार कुछ लोगों की ऐसा मौका देती है जब आप किसी दूसरे की मदद कर सकते हो. कोरोना संक्रमण का यह दौर भी उसी परिस्थितियों से जुड़ा हुआ एक वक्त है. ऐसे में जरूरत है कि हम एक दूसरों के लिए कुछ कर पाएंगे, वेद पुराणों में कहा गया है मानव सेवा से श्रेठ कोई दूसरी सेवा नही हैं. विनीत जैसे लोगों को सलाम जो अपनी जान की परवाह किये बगैर एक साल से निश्वार्थ भाव से सेवा में लगे है.

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