जयपुर. राजस्थान के ग्रामीण इलाकों को अपनी गिरफ्त में ले रहे कोरोना वायरस ने आमजन से लेकर सरकार तक, सभी को चिंतित किया है. वैश्विक महामारी कोविड-19 की पहली लहर में पिछले साल जहां गांव इससे अछूते रहे, लेकिन नए साल में आई दूसरी लहर ने गांवों को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया. ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी और सीमित चिकित्सा सुविधाओं के कारण हालात लगातार बिगड़ते गए. लेकिन घातक वायरस कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में कैसे जीत हासिल की जा सकती है, बोराज गांव के ग्रामीणों ने इसकी एक मिसाल पेश की है. ईटीवी भारत ने जयपुर जिले के इस गांव की पड़ताल की, जहां लोग कोरोना को लेकर काफी सतर्क नजर आए.
दरअसल, इस गांव ने साबित किया है कि एकजुटता और अनुशासन के दम पर ही इस बहरूपिए वायरस को मात दी जा सकती है. राजधानी जयपुर से सटे बोराज गांव में कुछ दिन पहले हालात भयावह हो चुके थे. तब ऐसा लग रहा था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने इस गांव को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले लिया है. घर-घर में सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी होने लगी. ग्रामीण जब तक कुछ समझ पाते लोगों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद जब कोरोना जांच का दायरा बढ़ाया गया तो हर बार कुल सैंपलिंग में करीब 50 फीसदी सैंपल पॉजीटिव आने लगे. शुरुआत में हर दिन एक-दो मौत की खबर आ रही थी, जो अचानक बढ़ने लगी. गांव के मोहल्लों से लगातार उठती अर्थियों ने सबको डरा दिया था.
संपूर्ण लॉकडाउन के सुझाव, डॉक्टरों का मिला समर्थन...
ऐसे में आनन-फानन में ग्राम पंचायत की कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में युवा सरपंच सुरेंद्र सिंह मीणा ने संपूर्ण लॉकडाउन के सुझाव दिया. लगातार बिगड़ते हालात देखकर अस्पताल में तैनात डॉक्टरों ने भी इसका समर्थन किया. इसके बाद गांव में 17 मई से सात दिन के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया. दवाई, सब्जी और डेयरी को छोड़कर सभी दुकानों को पूर्णतया बंद रखा गया. किराना की दुकानों को भी इस दौरान बंद रखने का निर्णय लिया. बेवजह घर से बाहर घूमने वालों पर सख्ती की गई. इसका असर हुआ कि गांव में रोज हो रही मौतों का सिलसिला थमने लगा. अब कोरोना संक्रमित मरीज मिलने की दर भी कम हुई है.
पढ़ें :Special : कोरोना ने रुलाया, तूफान ने किया तबाह...ETV Bharat पर कुछ यूं छलका किसानों का दर्द
सरपंच सुरेंद्र सिंह मीणा बताते हैं कि बोराज के अस्पताल में हर बुधवार को कोरोना जांच की जाती है. लॉकडाउन लगाने से पहले एक बुधवार को 79 लोगों की जांच की गई, जिनमें से 34 लोग संक्रमित पाए गए. अगले बुधवार को फिर 53 लोगों की जांच की गई, जिनमें से 17 लोग संक्रमित मिले. इसके साथ ही गांव में मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा था. गांव में एक ही दिन में हुई पांच मौतों ने तो जैसे सबको दहला दिया था. इसके बाद संपूर्ण लॉकडाउन का फैसला लिया गया. इसके बाद बुधवार को 49 लोगों की कोरोना जांच की गई और सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई. उनका कहना है कि अब ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.