जयपुर.जिले मेंइस बार अच्छी बारिश होने से जलभराव स्रोतों में तो पानी आया है, लेकिन इतनी तेज बारिश होने के बावजूद भी आमेर का कूकस बांध अभी भी पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहा है. कूकस बांध पूरे आमेर इलाके की प्यास बुझाता था, जो आज खुद सूखा पड़ा हुआ है.
जमवारामगढ़ बांध की तरह कूकस बांध के बहाव क्षेत्र में भी जगह-जगह पर अतिक्रमण होने से बारिश का पानी बांध तक नहीं पहुंच पाता है. कूकस बांध के बहाव क्षेत्र और बांध में पानी पहुंचाने वाली नदियों के रास्तों में बड़े-बड़े फार्म हाउस और रिसोर्ट बनने से बांध में पानी नहीं भर पाया है.
स्थानीय लोगों की मानें तो सन 1998 तक कूकस बांध पानी से भरा हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे नदियों के रास्ते में अतिक्रमण होने से बांध का पानी दिन-ब-दिन सूखता गया. अब हालात ये हो चुके हैं कि बाद में केवल झाड़ियां- ही- झाड़ियां नजर आ रही है और बांध के आस-पास के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हो चुके हैं. लोगों ने फार्म हाउस बनाकर कब्जे कर रखे हैं, तो वहीं अवैध कॉलोनी भी बनाई जा रही है. कुछ साल पहले जेडीए ने बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की खानापूर्ति की थी, लेकिन बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण नहीं हटा सके. इस बार हुई तेज बारिश से लोगों को उम्मीद थी कि कूकस बांध में पानी पहुंचेगा, लेकिन लोगों की उम्मीदों पर ही पानी फिर गया.
14 अगस्त को हुई तेज बारिश से आमेर के सभी जल स्रोत लबालब भर गए, लेकिन कूकस बांध अभी भी सूखा पड़ा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि कूकस बांध के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण को हटाया जाए, ताकि बारिश का पानी नदियों के रास्ते से बांध तक पहुंच सके. कूकस बांध में पानी भरेगा तो आसपास का जलस्तर भी ऊपर आएगा और पानी का संकट दूर होगा.
करीब 25 साल पहले कूकस बांध से आमेर और आस-पास के इलाकों में पानी पहुंचता था. यही नहीं कूकस बांध का पानी ओवरफ्लो होकर जमवारामगढ़ बांध तक भी पहुंचता था. कूकस बांध जमवारामगढ़ बांध से जुड़ा हुआ है. कूकस बांध से आमेर में पानी मिलता था अब बांध मर चुका है. आमेर के लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज हो रहे हैं.