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पायलट सहित तीन पूर्व मंत्रियों के सरकारी आवास का निर्णय करेगी विधानसभा कमेटी - सचिन पायलट

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित तीन पूर्व मंत्रियों के सरकारी आवास का निर्णय अब विधानसभा कमेटी करेगी. जीएडी ने उनके आवास को सामान्य पूल से विधानसभा पूल में डाला दिया है. इसके बाद विधानसभा कमेटी ही इस बात का निर्णय करेगी कि कैबिनेट दर्जे के बंगले में रहे तीनों पूर्वमंत्रियों कब खाली कराए जाएं और वो बंगले किसी को एलोट किया जाए.

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पायलट सहित तीन पूर्व मंत्रियों के सरकारी आवास का निर्णय करेगी विधानसभा कमेटी

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Published : Feb 9, 2021, 1:13 AM IST

जयपुर. गहलोत सरकार पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को विधानसभा पूल के विशिष्ट आवास की श्रेणी में सरकारी आवास के आवंटन की तैयारी की जा रही है. इसके तहत जीएडी ने उनके आवास को सामान्य पूल से विधानसभा पूल में डाल दिया है. ऐसे में अब विधानसभा की कमेटी यह तय करेगी कि इन्हें इनके मौजूदा सरकारी आवास का विधायक की विशिष्ट श्रेणी में आवंटन किया जाए या नहीं.

बता दें कि जबसे इन पूर्व मंत्रियों को मंत्री पद से पद मुक्त किया गया था, तब से ही यह चर्चा थी कि इनके बतौर मंत्री सरकारी आवास को खाली कराने के लिए सरकार की ओर से नोटिस दिया जाएगा. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने तीनों के आवासों को विधानसभा की आवास समिति के खाते में डाल दिया है. इस खाते में डालने का मतलब है कि इन तीनों नेताओं के आवास खाली नहीं कराने का रास्ता साफ हो गया.

इससे पहले गहलोत सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सरकारी आवास को भी खाली नहीं कराया था. वसुंधरा राजे के आवास को भी विधानसभा की आवास समिति के खाते में डाल दिया गया था. मुख्यमंत्री नहीं रहने के बावजूद वसुंधरा राजे को सिविल लाइंस में बड़ा बंगला आवंटित करने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा था, लेकिन उस समय सरकार ने उन्हें वरिष्ठ विधायक बताते हुए विधानसभा की आवास समिति के माध्यम से आवास बरकरार रखने का निर्णय लिया था.

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दरअसल, सरकार के निमयों के तहत पूर्व मंत्री यदि सरकार आवास को दो माह तक खाली नहीं करता है तो उसे 10 हजार रुपये मासिक किराया देना होता है. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की अध्यक्षता में बनी आवास समिति विधायकों, पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास आवंटित कर सकती है. अब समिति के प्रमुख होने के नाते जोशी को तय करना है कि तीनों नेताओं के सरकारी आवास बरकरार रखा जाए या नहीं. सूत्रों के अनुसार, आपसी बातचीत के बाद ही तीनों नेताओं के आवासों को विधानसभा की आवास समिति के खाते में डाला गया है.

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