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आप नेता संजय सिंह पर मानहानि का मुकदमा करने की तैयारी में विहिप

आप नेता संजय सिंह की अयोध्या में जमीन खरीद के मामले में की गई कथित टिप्पणी और आरोप के लेकर विहिप नेताओं में नाराजगी है. मामले में विहिप अब आप नेता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की तैयारी में है.

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चंपत राय का आप नेता पर पलटवार

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Published : Jun 15, 2021, 4:13 PM IST

जयपुर. विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर ट्रस्ट पर लग रहे आरोपों को सिरे से खारिज किया है. जिस तरह से अयोध्या में जमीन खरीद मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की ओर से मंदिर ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, उसे फर्जी बताते हुए विहिप ने मानहानि का मुकादमा दर्ज कराने की चेतावनी दी है. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बयान जारी कर कहा है कि राम मंदिर का निर्माण पूरी तरह से विश्वसनीयता और पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है. वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सचिव चंपत राय ने भी इस मामले में अपना बयान जारी किया है.

आलोक कुमार ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा है कि इस दैवीय अभियान को दूषित करने की कोशिश की जा रही है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा लगता है कि निजी लाभ के उद्देश्य से लोगों को भ्रमित करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है. राजनीतिक विश्वास से जुड़े मसले का राजनीतिकरण किया जा रहा है. आलोक कुमार ने कहा कि जमीन की डील पूरी तरह से पारदर्शी है. हमने ट्र्स्ट को सुझाव दिया है कि वह उन लोगों के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराए जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ऊपर गलत आरोप लगाए हैं.

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विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और यही वजह है कि ये लोग आम जनता को गुमराह कर रहे हैं और उनके बीच झूठ फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह जमीन कुसुम पाठक नाम की महिला के नाम थी और वही उसकी असल मालकिन थीं. उन्होंने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन त्रिपाठी नाम के व्यक्तियों के साथ कुछ साल पहले 2 करोड़ में जमीन की डील की थी, जिसकी उस वक्त कीमत 2 करोड़ रुपए ही थी.

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आलोक कुमार ने कहा कि जमीन की खरीद और बिक्री आपसी सहमति पर हुई है. कुसुम पाठक जमीन बेचने के लिए तैयार थीं लेकिन वह इसलिए नहीं बेच सकीं क्योंकि उन्होंने पहले ही एक डील कर रखी थी. इस बीच सुल्तान अंसारी और रवि मोहन इस जमीन को बेचने के इच्छुक थे, लेकिन ये लोग इसलिए इस पर फैसला नहीं ले सके क्योंकि कुसुम इसके लिए राजी नहीं थीं.

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