जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मेवाड़ यात्रा (Vasundhara Mewar Trip News) यूं तो देव दर्शन और दिवंगत नेताओं के यहां संवेदना जताने के लिए थी, लेकिन इसमें उमड़ी भीड़ के जरिए राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा समर्थकों को (Supporters of Raje in Rajasthan) जो संदेश देना था, उसे देने में वे कामयाब रहे. खास बात यह रही कि इस यात्रा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी भले ही शामिल न हुए हों, लेकिन भाजपा से बाहर हुए रणधीर सिंह भींडर (Randhir Singh Bhinder Seen with Raje) राजे की यात्रा के स्वागत में पलक पावडे बिछाए नजर आए. अजमेर में भंवर सिंह पलाड़ा भी उन्हीं नेताओं में शामिल हैं जो वसुंधरा राजे के साथ दिखे, लेकिन वर्तमान में वे पार्टी से बाहर हैं. मतलब पार्टी से बाहर हुए नेता भी वसुंधरा राजे के प्रति समर्पित दिखे.
विधायकों के इन बयानों से भंवर में फंसी 'राजस्थान भाजपा': अब भले ही यात्रा का मकसद वसुंधरा राजे की जुबानी कुछ और हो, लेकिन यात्रा के दौरान राजे समर्थकों ने जब अपनी जुबान खोली तो असली मकसद भी सामने आने लगा. भीलवाड़ा में मौजूदा भाजपा विधायक जब्बर सिंह सांखला और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व अजमेर से मौजूदा विधायक अनिता भदेल के बयानों ने तो राजस्थान भाजपा को भंवर में डाल दिया.
सांखला ने साल 2023 में बतौर मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में वसुंधरा राजे के नाम को आगे कर दिया तो अनिता भदेल ने वसुंधरा राजे के पास खड़े होकर अगला मुख्यमंत्री कैसा हो तक के नारे लगा डाले. दोनों ही बयान इस बात का संकेत है कि अलग-अलग खेमों में बंटी राजस्थान भाजपा में (Factionalism in BJP) सबकुछ ठीक नहीं चल रहा.
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