जयपुर.राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण (covid-19 infection in Rajasthan) के शुरुआती मामले जब सामने आए थे तो जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल प्रदेश से बाहर भेजे जाते थे. अब एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर की माइक्रोबायोलॉजी लैब (Microbiology Lab of Jaipur ) में भी जिनोम सीक्वेंसिंग की शुरुआत हो चुकी है.
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया स्ट्रेन (new strain of corona in south africa) सामने आया है. बताया जा रहा है कि यह नया वेरिएंट कई गुना तेजी से फैलता है. ऐसे में विश्व भर में इसे लेकर ओमीक्रोन पर डब्लूएचओ का अलर्ट (WHO alert on Omicron ) भी जारी है.
जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है
जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है (What is Genome Sequencing), अगर इसकी बात की जाए तो इससे वायरस के प्रकार के बारे में पता लगाया जाता है. वायरस में किसी तरह का कोई बदलाव आता है तो जिनोम सीक्वेंसिंग से ही इसकी जानकारी मिलती है. आसान भाषा में समझा जाए तो कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जिनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जिनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. प्रदेश की बात की जाए तो जिनोम सीक्वेंसिंग से यह पता लग पाया है कि राजस्थान में डेल्टा वेरिएंट (Delta variant in Rajasthan ) के 88 फीसदी मामले पाए गए हैं.
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राजस्थान में कोरोना वेरिएंट
अब तक 2739 सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए
इनमें से 1669 सैंपल में वेरिएंट ऑफ कंसर्न पाया गया