जयपुर. प्रदेश में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय में हर साल हजारों छात्र दाखिला लेते हैं, जबकि इतनी ही संख्या में छात्र यहां से पास आउट भी होते हैं. लेकिन वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में संचालित 32 डिपार्टमेंट और 4 बड़े संघटक कॉलेज महज 487 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है. जबकि विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 450 से ज्यादा पद रिक्त हैं. यही नहीं एसोसिएट प्रोफेसर के सैकड़ों पदों पर वर्षों से प्रमोशन प्रक्रिया अटकी पड़ी है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 147 शिक्षकों का स्थायीकरण भी अटका हुआ है.
राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षकों की समयबद्ध पदोन्नति, स्थायीकरण प्रक्रिया यहां तक कि नई भर्ती को लेकर भी गंभीर नहीं है. वर्तमान में विश्वविद्यालय में 32 डिपार्टमेंट संचालित हैं. इनमें हिंदी में 1, इकोनॉमिक्स में 2, सोशलॉजी में 1 और मैनेजमेंट में 2 प्रोफेसर ही मौजूद हैं. इसके अलावा 28 डिपार्टमेंट ऐसे हैं, जिनमें एक भी प्रोफेसर नहीं है. आलम ये है कि 2020 के अंत तक विश्वविद्यालय में महज 2 प्रोफेसर ही रह जाएंगे, जिसका बड़ा कारण समय पर पदोन्नति का नहीं होना है.
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सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सरीना कालिया ने कहा है कि यह बेहद निराशाजनक स्थिति है. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में टीचर की भारी कमी रहती है. छात्रों की संख्या हर साल 10 फीसदी और बढ़ जाती है, लेकिन शिक्षकों के खाली पद नहीं भरे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के साथ शोषण हो रहा है. विश्वविद्यालय का अध्यापक छात्रों को पढ़ा भी ले, रिसर्च वर्क भी करा ले और उन्हें प्रमोशन भी ना दिया जाए. हैरानी की बात ये है कि आज की तारीख में 272 एसोसिएट प्रोफेसर का प्रमोशन अटका हुआ है, इनमें से आधे तो रिटायर होने के कगार पर पहुंच चुके हैं.