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पद कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष का, सियासी भूचाल राजस्थान में

कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर कयासों और कवायदों का दौर जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही सार्वजनिक तौर पर अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं तो सूत्र बता रहे हैं कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट चुपचाप काम कर रहे हैं. अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट से सब अवगत हैं. दोनों एक दूसरे को राजस्थान से दूर भेजना चाहते हैं. नजर अब 28 अगस्त को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक पर है.

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाम सीएम कुर्सी का मामला है

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Published : Aug 25, 2022, 2:18 PM IST

Updated : Aug 25, 2022, 3:24 PM IST

जयपुर. कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा ?इसका फैसला आने वाले कुछ दिनों में हो जाएगा, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद ने राजस्थान में सियासी भूचाल ला दिया है. लगातार ये दावे किए जा रहे हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे, इन दावों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुखर होकर खारिज कर रहे हैं. साफ है कि अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के फुल टाइम राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें ऐसी स्थिति में राजस्थान सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी (Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot).

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बीते करीब 10 साल से अपना दावा ठोक रहे सचिन पायलट कैम्प भी काफी उत्साहित दिखाई दे रहा है. हालांकि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर किसी तरीके की बयानबाजी नही कर रहे हैं. ये सब बता रहा है कि पायलट कैंप फिलहाल इस पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं और 28 अगस्त को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में होने वाले निर्णय का इंतजार कर रहा है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाम सीएम कुर्सी का मामला है

दोनों को एक दूसरे की फिक्र!:राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई किसी से छुपी हुई नहीं है. गहलोत अपनी कुर्सी बनाए रखने के लिए और पायलट उस कुर्सी को पाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. कुर्सी की लड़ाई के बीच सबसे बड़ी बात ये है कि अशोक गहलोत चाहते हैं कि सचिन पायलट एआईसीसी में कोई पद लेकर राजस्थान छोड़ दें. भले ही वो पद कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष का क्यों ना हो, तो वहीं सचिन पायलट भी यही चाहते हैं कि गहलोत दिल्ली जाकर कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभाले. पूर्ण अध्यक्ष के तौर पर नहीं बल्कि कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर.

वो इसलिए भी क्योंकि कांग्रेस के पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का मतलब है पूरी पार्टी की कमान उस नेता के हाथ में आ जाना.अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो फिर सचिन पायलट के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी और भी ज्यादा मुश्किल में आ सकती है. कयास लगाया जा रहा है कि ऐसा हुआ तो गहलोत अपने किसी करीबी को ये कुर्सी सौंप सकते हैं. ऐसे में चाहें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हों या पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों ही एक दूसरे को दिल्ली भेजना चाहते हैं. पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नहीं बल्कि कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर!

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फॉर्मूले पर चर्चा: जैसे ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सामने आया तो सचिन कैम्प में खुशी की लहर दौड़ गई. सचिन पायलट समर्थक मान रहे हैं ,कि गहलोत की बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष ताजपोशी उनके नेता को सीएम की कुर्सी तक पहुंचा देगी. ऐसा दोनों ओर के समर्थक सोचते हैं लेकिन विशेषज्ञ कुछ और ही कहते हैं. वो मानते हैं कि पायलट और गहलोत के बीच सियासी लड़ाई इतनी ज्यादा है कि लगता नहीं कि गहलोत पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देंगे.

कहा जा रहा है कि अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते भी हैं तो वो अपने किसी करीबी को ही उत्तराधिकारी के तौर पर चुनेंगे और तब उनकी बात को सिरे से नकारा भी नहीं जा सकेगा. राजनैतिक दृष्टि से देखें तो पायलट का प्लेन टेकऑफ से पहले ही क्रैश हो जाएगा यानी उन्हें फिर सीएम नहीं बनने दिया जाएगा और वो खाली हाथ रह जाएंगे. एक फार्मूला ये भी सामने आ रहा है कि अगर किसी और को गहलोत मुख्यमंत्री बनाते भी हैं तो पायलट चाहते हैं कि वो कोई बुजुर्ग नेता हो ताकि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की कमान उन्हें मिल सके. इस दौरान राजस्थान की कैबिनेट में भी व्यापक फेरबदल करवा दिए जाएं.

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गहलोत की मंशा साफ:जब से सियासी गलियारों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चाएं तैरने लगी हैं तब से पार्टी के भीतर और बाहर काफी उथल पुथल मची है. सीएम कई मौकों पर अब कहते सुनाई दे रहे हैं कि वो इस दौड़ में शामिल नहीं. सभी जानते हैं कि गहलोत जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता यूं ही कोई बात नहीं कहते. गहलोत बार बार मना कर रहे हैं. सोनिया गांधी से मिलने के बाद भी उनके स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया, इसका मतलब साफ है की उन्हें अभी गांधी परिवार की ओर से ये बात कही ही नहीं गई है. अब निगाहें 28 अगस्त पर टिकी है. कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC Meet) की बैठक होगी और 2 सप्ताह में साफ होगा की राजस्थान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा.

Last Updated : Aug 25, 2022, 3:24 PM IST

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