जयपुर. बीकानेर निवासी एक परिवार करीब 12 साल पहले जेके लोन के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डीडी सिन्हा को अपनी बच्ची को दिखाने आए थे. परिजनों का कहना था कि उम्र के हिसाब से उसके जननांग विकसित नहीं हो रहे. चिकित्सकों ने जब मरीज की जांच कराई तो पता चला कि उसके आंतरिक जननांग पुरुष के हैं. जबकि बाह्य जननांग अविकसित स्त्री जननांग के समान हैं.
इस तरह की दिक्कत को मेडिकल भाषा में हाइपो-जेनआईटेलिया कहा जाता है, जिसमें बच्ची की आवाज समेत (Identification of Actual Gender) अन्य क्रियाकलाप भी लड़कों जैसे ही है. ऐसे में डॉक्टर्स ने क्रियोटाइपिंग टेस्ट कराया. इसमें पता चला कि मरीज में फीमेल इंटरनल सेक्स ऑर्गन जैसे ओवरी, यूट्रस आदि नहीं है. लेकिन पेट के दोनों तरफ चने के आकार के अंडकोष पाए गए. तब जाकर पता चला कि मरीज बच्ची नहीं, बल्कि बच्चा है.
वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डीडी सिन्हा ने बताया कि पहले थेरेपी फिर चार ऑपरेशन किए गए और 12 साल के ट्रीटमेंट के बाद (Operation for Sex Identification) राजकुमारी को वास्तविक जेंडर मिला. बच्चे को लंबे समय के लिए मेल हार्मोंस थेरेपी पर लगया गया. इस दौरान सभी मेल ऑर्गन विकसित हुए, लेकिन अविकसित लिंग के नीचे 1 छिद्रनुमा संरचना रह गई. ऐसे में वर्ष 2018 में बच्चे के अंडकोष को दोबारा अपनी स्थिति में लाने के लिए ऑपरेशन किया गया. फिर 2019 में जननांग को सीधा करके उसमें पेशाब का छिद्र बनाया गया.