जयपुर. CMIE के आंकड़ें बताते हैं कि प्रदेश में शहरी बेरोजगारी दर में तो इजाफा हुआ है ,लेकिन ग्रामीण बेरोजगारी दर में थोड़ी गिरावट आई है. मतलब साफ है कि बेरोजगारी के मामले में आंकड़े कोई खास अच्छे नहीं हैं. जून 2022 की शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था पर निगरानी रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने डेटा जारी किया. इसमें बताया गया कि राजस्थान में बेरोजगारी दर मई में 22.2 फीसदी हो गई है, जाहिर है कि कोरोना की तीन लहरों के बीच बेरोजगारी (Corona Effect On Unemployment) बेलगाम हो रही है. प्राइवेट थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार ये आंकड़े युवा वर्ग के लिये लगातार चिंता में इजाफा करने वाले नजर आ रहे हैं.
ये हालात हैं प्रदेश में बेरोजगारी के: राजस्थान में जहां 2016 में बेरोजगारी दर 3.8 प्रतिशत थी, वहीं 2022 में मार्च में यह 32.3 प्रतिशत हो गई थी. राज्य में परीक्षाओं में गड़बड़ी और रद्द होना बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण माना गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में सबसे ज्यादा 20.67 लाख ग्रेजुएट बेरोजगार (Rajasthan Stands 2 In Unemployment Rate) हैं. वहीं, कुल बेरोजगारों की संख्या भी सर्वाधिक 65 लाख (Unemployed Graduates Of Rajasthan) है, जो देश के अन्य राज्यों में सबसे अधिक है. यहां हर दूसरे ग्रेजुएट के पास न्यूनतम मजदूरी तक कमाने का कोई साधन नहीं है. राजस्थान में बेरोजगार ग्रेजुएटों की संख्या सबसे अधिक है. ये यहां 20.67 लाख है. बेरोजगारों की कुल संख्या भी राजस्थान में सबसे अधिक है, जो कि 65 लाख के बराबर है. पिछले चार वर्षों में, राजस्थान में ग्रेजुएटों के बीच बेरोजगारी चार गुना बढ़ गई है जबकि दिल्ली में पिछले चार वर्षों में यह संख्या 3 गुना से अधिक बढ़ गई है.