जयपुर.देश की बेरोजगारी दर दिसंबर 2021 में 7.91 फीसदी रही. यह आंकड़ा चार महीने में सबसे ज्यादा है. शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर 9.30 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में यह दर 7.28 फीसदी है. इस परिदृश्य में राजस्थान के आंकड़े और भी चिंतित करने वाले हैं. सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2021 में बेरोजगारी के मामले में राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर रह है. यहां बेरोजगारी की दर 27.10 फीसदी रही. जो हरियाणा (34.10) के बाद सबसे ज्यादा है.
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 महीने में प्रदेश में बेरोजगारी की दर 20 फीसदी से ज्यादा रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि दिसंबर महीने में 85 लाख लोग रोजगार के लिए श्रम बाजार में आए. इनमें से 40 लाख को रोजगार मिला और 45 लाख लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया.
बेरोजगारी में राजस्थान दूसरे पायदान पर, 48 हजार पदों के लिए 70 लाख अभ्यर्थी, भत्ता महज दो लाख को... राजस्थान में बेरोजगारी के इस डराने वाले आंकड़ों के बीच सरकारी नौकरियों (Government jobs in Rajasthan in 2022) की बात करें तो इनकी संख्या ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं. साल 2020 में विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में 25 लाख बेरोजगार शामिल हुए. जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 3 गुणा से ज्यादा पहुंच गया है. जनवरी से दिसंबर 2021 तक हुई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में 70 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए हैं.
पढ़ें:Upen Yadav On Government Jobs: उपेन यादव ने गहलोत सरकार को सराहा! ब्यूरोक्रेसी को नौकरी में देरी के लिए बताया जिम्मेदार
आंकड़ों में बेरोजगार 14 लाख, भत्ता महज 2 लाख को ही
अपने चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में वर्तमान में 14 लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं. इनमें से महज 2 लाख को ही अभी बेरोजगारी भत्ता (Unemployment allowance given in Rajasthan) मिल रहा है. हालांकि, भर्तियों में आए आवेदनों पर गौर करें तो पता चलता है कि प्रदेश में 70 लाख से ज्यादा बेरोजगार हैं.
पढ़ें:बेरोजगारों का नया साल : युवाओं की गहलोत सरकार को चेतावनी...रीट में पद 50 हजार नहीं किए तो 2023 तक जारी रखेंगे आंदोलन
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि यह आंकड़े न केवल बेरोजगारों के लिए बल्कि सरकार के लिए भी चिंताजनक हैं. राजस्थान की भर्तियों में बाहरी राज्यों का कोटा तय नहीं है. जबकि अन्य राज्यों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को आसानी से नौकरी नहीं मिल पाती है. भाषा या अन्य कोई राइडर लगाकर दूसरे राज्यों के युवाओं को वहां कम मौके दिए जाते हैं. जबकि राजस्थान में जब भर्तियां होती हैं तो बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी यहां परीक्षा देकर नौकरी हासिल कर लेते हैं. इससे राजस्थान के बेरोजगार युवाओं का हक मारा जा रहा है. राजस्थान सरकार को भी अन्य राज्यों की तर्ज पर बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों का कोटा तय करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता है तो आने वाले दिनों में यह आंकड़ा इसी तरह से बढ़ता रहेगा.
उनका कहना है कि हर साल भर्तियां निकालने का दावा हर पार्टी करती है. लेकिन सरकार बनने के बाद इस पर गंभीरता से अमल नहीं होता है. उनका कहना है कि चरणबद्ध तरीके से हर साल भर्तियां निकाली जाएं तो बढ़ती बेरोजगारी की दर पर अंकुश लगाया जा सकता है.
पढ़ें:राजस्थान के बेरोजगारों को झटका, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेवानिवृत्त को लगाने की शिक्षा विभाग ने की सिफारिश
पारदर्शिता से भर्तियां करवाने के सवाल पर उनका कहना है कि इस संबंध में हमने राजस्थान सरकार को सुझाव भी दिए हैं. पेपर लीक, नकल, फर्जी डिग्री और डिप्लोमा से नौकरी हासिल करने के मामलों को लेकर सख्त कानून बनाने की मांग युवा लंबे समय से कर रहे हैं. सरकार ने इस दिशा में घोषणा की है लेकिन विधानसभा में कानून बनने का अभी भी इंतजार है. हालांकि, कोरोना काल में सबसे ज्यादा नौकरियां देने का काम राजस्थान सरकार ने किया है. उनका कहना है कि पेपर लीक और फर्जी अभ्यर्थियों पर अंकुश लगाने के लिए भी सरकार को सुझाव दिए हैं. इन पर अमल किया जाए तो ऐसी घटनाओं पर निश्चित रूप से अंकुश लगेगा.
सरकारी नौकरियों की संख्या सीमित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार और राजनीतिक पार्टियों को भी सोचना होगा. बेरोजगारी न केवल प्रदेश बल्कि देश की भी बड़ी समस्या है. ऐसे में निजी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को रोजगार के ज्यादा अवसर मुहैया करवाए जाने चाहिए. इसके साथ ही स्किल डवलपमेंट के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर मुहैया करवाने जाने की तरफ भी सरकार को सोचना होगा.
सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले पांच राज्य
हरियाणा 34.1%
राजस्थान 27.1%
झारखंड 17.3%
बिहार 16.0%
जम्मू-कश्मीर 15.0%
सबसे कम बेरोजगारी वाले पांच राज्य
कर्नाटक 1.4%
गुजरात 1.6%
ओडिशा 1.6%
छत्तीसगढ़ 2.1%
तेलंगाना 2.2%