जयपुर. सीएम अशोक गहलोत 2022-23 के अपने बजट भाषण के दौरान कहा था कि 'कांग्रेस सरकार ने 1 लाख से ज्यादा नियुक्तियां दे दी हैं. करीब 1 लाख 25 हजार पदों पर भर्तियां प्रक्रियाधीन है. इसके अलावा 1 लाख और पदों पर नई भर्ती निकलेंगी.' सीएम अशोक गहलोत के इस बयान को 5 महीने बीत चुके हैं. डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे. इससे पहले की आचार संहिता लग जाए, प्रदेश के युवा बेरोजगार प्रक्रियाधीन भर्तियों पर नियुक्ति देने और घोषणा की गई एक लाख भर्तियों का वर्गीकरण कर विज्ञप्ति जारी करने की मांग पर अड़े हुए हैं. कारण साफ है कोरोना काल के बाद प्रदेश में बेरोजगारी सुरसा के समान मुंह खोले खड़ी है. वहीं, अब राजस्थान 22.2 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ देश में दूसरे पायदान पर जा पहुंचा है.
प्रदेश की गहलोत सरकार पुरानी भर्तियों को कराकर भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन 4 बजट घोषणाओं में की गई 3 लाख 25 हजार से ज्यादा भर्तियों को धरातल पर उतारने में नाकाम रही है. अब चूंकि डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में हाल ही में राज्य सरकार के निर्देश पर आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 82 हजार भर्तियों के लिए कैलेंडर जारी किया गया. लेकिन अभी भी सरकारी विभागों में हजारों पद खाली पड़े हैं.
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हालांकि सरकार साढ़े तीन साल में 1 लाख 19 हजार 559 पदों पर ही नौकरी देने का दंभ भर रही है. जबकि इनमें से अधिकतर भर्तियां पिछली सरकार की लम्बित हैं. फिर भी सरकार की घोषणा के अनुसार अभी भी 2 लाख से ज्यादा पदों पर भर्तियां होना बाकी है. वहीं इसी साल की गई 1 लाख भर्तियों की घोषणा का तो वर्गीकरण भी नहीं हुआ है.
बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि प्रदेश सरकार से बेरोजगार खुश नहीं है. हर भर्ती के लिए उन्हें आंदोलन करना पड़ता है, लाठी खानी पड़ती है, जेल जाना पड़ता है. सरकार बजट में बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है लेकिन उन्हें धरातल पर उतारा नहीं जाता. उन्होंने सरकार की कथनी और करनी में अंतर बताते हुए, ऊर्जा विभाग की टेक्निकल हेल्पर भर्ती का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले बजट में कहा था कि टेक्निकल हेल्पर 6000 पदों पर भर्ती निकाली जाएगी, लेकिन मात्र 1512 पदों पर भर्ती निकाली. पंचायती राज विभाग में जेईएन भर्ती निकालना भूल गई. इसके अलावा चिकित्सा विभाग में रेडियोग्राफर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट और सीएचओ के पदों पर भर्तियां कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है.