जयपुर.प्रदेश में पिछले करीब 1 माह से चल रहे सियासी घमासान में एकाएक आया यू टर्न चर्चाओं में है. सियासत के जानकार भी इस बात को लेकर अचंभित हैं कि सचिन पायलट कैंप जो मुख्यमंत्री गहलोत से सियासी जंग में बहुत आगे तक निकल गया था, वो एकाएक पार्टी समर्पण में बैक कैसे हुआ. लेकिन सियासत में यू-टर्न उस समय आया जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली प्रवास पर थी. अब सियासी गलियारों में वसुंधरा राजे के दिल्ली प्रवास और कांग्रेस के संग्राम में आए यू-टर्न को जोड़कर देखा जा रहा है.
चर्चा इस बात की भी है कि वसुंधरा राजे जब दिल्ली प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष और केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिली, तो उन्होंने प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान को लेकर विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान मौजूदा परिस्थितियों में यह भी साफ कर दिया कि इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका सरकार बनाने या गिराने की स्थिति में नहीं है.
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ऐसे में वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों में शामिल कैलाश मेघवाल पिछले दिनों एक बयान जारी कर यह साफ कर चुके हैं कि वे जनता की चुनी हुई सरकारों को इस तरह गिराए जाने के पक्ष में नहीं हैं. वहीं, वसुंधरा राजे समर्थक विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने भी पिछले दिनों सचिन पायलट के राज्य के खिलाफ आए बयान पर भी आपत्ति जताई थी. यह इस बात का संकेत था कि खुद राजे भी प्रदेश में चुनी हुई सरकार को गिराए जाने से जुड़े किसी भी षड्यंत्र का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी.