जयपुर.वनों की अंधाधुंध कटाई और गहराता जल संकट वैश्विक स्तर पर बड़ा खतरा बन गया है. पिछले 150 वर्षों में विकास की गति बढ़ने के साथ ही औद्योगीकरण का विस्तार हुआ है, लेकिन शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि से जलवायु पर विपरीत असर पड़ा है. ऐसे में इसको लेकर शहर के सुबोध कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है.
जलवायु परिवर्तन पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में ICSSR दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर कौशल कुमार शर्मा मुख्य अतिथि रहे. दो दिवसीय संगोष्ठी में 10 तकनीकी सत्रों में 200 से अधिक शोध पत्र पढ़े जाएंगे. इस मौके पर मुख्य वक्ता प्रोफेसर संतोष शुक्ला ने कहा कि किसी भी पौधे को पेड़ बनने में 30 साल का समय लगता है, लेकिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की वजह से हमें शहरों में पेड़ देखने के लिए मीलों दूर चलना पड़ता है.
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संतोष शुक्ला ने कहा कि 6 दशकों में देश की नदियों का पानी सूख चुका है जो आगामी खतरे की निशानी है. संगोष्ठी की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एचएस शर्मा ने की. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन वर्तमान समय का सबसे ज्वलंत मुद्दा है. पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को प्रतिबंध होकर संकल्प लेना होगा. ताकि आने वाली पीढ़ियां प्रकृति के स्वच्छ प्रेम से आच्छादित हो सकेगी.
प्रोफेसर एससी राय ने कहा कि वर्तमान समय में पूरी पृथ्वी प्रदूषण के घेरे में है. इससे निपटने के लिए सघन पौधारोपण को बढ़ावा देना होगा. इस मौके पर महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर केबी शर्मा ने संगोष्ठी में आए और अतिथियों को महाविद्यालय की शैक्षणिक- सहशैक्षणिक गतिविधियों के विषय में जानकारी दी.
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प्राचार्य ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण और समसामयिक विषय है. जिस की तरह तरफ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करना होगा. इस दो दिवसीय संगोष्ठी में राजस्थान समेत कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पंजाब से विषय- विशेषज्ञ, विद्यार्थी और शोधार्थी भाग ले रहे हैं.