जयपुर.राजधानीके जेके लोन अस्पताल में एक दुर्लभ बीमारी से जुड़ा मामला सामने आया है. अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि बच्चा स्पाइनल मस्क्युलर अट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है. अस्पताल में बच्चे का उपचार शुरू कर दिया गया है. चिकित्सकों ने यह भी दावा किया है कि इस तरह की दुर्लभ बीमारी का देश में यह दूसरा मामला है और रिस्डिप्लाम (एवरेसडी) नाम की दवा बच्चे को दी जा रही है.
इस दवा की कीमत 4 करोड़ रुपये है और इसे आजीवन देने की आवश्यकता होती है. फिलहाल यह दवा बच्चे को अनुकंपा उपयोग कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है. यह दवा भारत में दूसरी बार किसी रोगी को दी जा रही है.
चिकित्सकों ने बताया कि रिस्डिप्लाम (एवरेसडी) 2 महीने की उम्र से बड़े बच्चो के लिए मुंह से लेने वाली एक दवा है और सभी प्रकार के स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के बच्चों को दी जा सकती है. यह एक स्मॉल मोलेक्यूल ओरल ड्रग है, जिसे बच्चे को घर पर ही दिया जा सकता है. 7 अगस्त, 2020 को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा रिस्डिप्लाम को मंजूरी दी गई है, जो चार वर्षों के भीतर उपलब्ध स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लिए तीसरी दवा बनी है.
इस दवा को रोच कंपनी द्वारा बनाया गया है. इसको बनाने में पीटीसी थेरेपीटिक्स कंपनी ने और एसएमए फाउंडेशन ने सहयोग किया है. बच्चे को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर से विशेष उपचार के लिए जेके लोन हॉस्पिटल जयपुर लाया गया था. इस बच्चे की बीमारी के बारे में बच्चे की मां को सबसे पहले आठ महीने की उम्र पर अंदेशा हुआ, क्योंकि बच्चे के पैरो के हरकत कम थी और ढीला पन था. इसके बाद जब बच्चे ने खड़ा होना और चलना शुरु नहीं किया तो पेरेंट्स ने डॉक्टर को दिखाया और जेनेटिक टेस्टिंग कराई तब इस बीमारी का पता चला.