जयपुर.राजधानी जयपुर की लाइफलाइन कही जाने वाली मिनी बसें एक बार फिर से राजधानी जयपुर में संचालित होना शुरू हो गई है, लेकिन जयपुर शहर की पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चल रही 15 साल से पुरानी कबाड़ा मिनी बसों को अब परिवहन विभाग बंद करने जा रहा है. इसके साथ ही 15 साल से पुरानी कारें जो राजधानी जयपुर के अंतर्गत चल रही हैं, उनको भी बंद करने के लिए आदेश जारी हो गए हैं.
15 साल पुरानी कमर्शियल डीजल वाहनों को बंद करने के आदेश के बाद ट्रांसपोर्टर्स का विरोध बता दें 15 साल से पुरानी डीजल की कमर्शियल वाहनों को बंद करने के लिए आदेश जारी किए गए हैं. जिसके बाद ट्रांसपोर्ट के द्वारा इसको लेकर विरोध भी उत्पन्न हो रहा है. ऐसे में जयपुर कमर्शियल वाहन महासंघ के संयोजक अनिल आनंद ने बताया कि एनजीटी और केंद्रीय सरकार के आर्डर से स्क्रैप पॉलिसी का निर्माण हुआ है. जिसके अंतर्गत 15 साल से पुराने ट्रक और पुरानी डीजल गाड़ियों को सड़क से हटा दिया जाएगा और उन्हें स्क्रैप कर दिया जाएगा.
अनिल आनंद ने बताया कि जहां तक मेरा विचार है 'भारत के अधिकांश शहरों में 15 साल के पुराने वाहन चल रहे हैं. ऐसे में अगर वास्तव में देखा जाए तो 15 साल पुराने वाहन भारी संख्या में सिंगल मोटर वाहन मालिकों के पास है. जिससे वह अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं और उस पर वह पूरी तरह से निर्भर हैं ऐसे में पुरानी गाड़ियां स्क्रैप में जाती हैं, तो उनकी रोजी-रोटी छीनने का बहुत बड़ा अपराध केंद्र सरकार कर रही है और इससे बहुत बड़ी बेरोजगारी भी उत्पन्न होगी. इसके साथ ही सप्लाई लाइन में भी बाधा उत्पन्न होगी, क्योंकि नई गाड़ी खरीदना और उनकी क़िस्त भरना आज के समय में संभव नहीं है. ऐसा होने से सड़कें पूरी सुनी हो जाएंगी और सस्ते भाड़े पर ट्रक चलाने पड़ेंगे, जो संभव नहीं है.
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अनिल आनंद ने कहा कि केंद्र सरकार को नए ट्रक लेने वालों पर ब्याज माफ करना चाहिए. अनिल आनंद में कहा कि सरकार को ट्रांसपोर्ट व्यवसाई के लिए एक आर्थिक पैकेज देना चाहिए, क्योंकि ट्रांसपोर्टर्स ने कोविड-19 के दौरान बाहर निकलकर डिमांड और सप्लाई को मेंटेन रखा है और ट्रांसपोर्टर को आर्थिक पैकेज की जरूरत है. वहीं ट्रांसपोटर्स ने कोविड काल में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है.