जयपुर.वन विभाग के झालाना वन रेंज ने एक नई पहल की शुरुआत की है. कोई भी पेड़ कटे नहीं, मरे नहीं, इसके लिए वन विभाग ने झालाना वन क्षेत्र में ट्रांसप्लांट करने की नई पहल शुरू की है. वहीं, लेपर्ड सफारी झालाना डूंगरी जंगल में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़-पौधे को जीवित रखने का काम किया जा रहा है. झालाना में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की जड़ों ने जगह पकड़ ली है. अब झालाना लेपर्ड सफारी में बरगद, पीपल और फलदार पेड़ भी देखने को मिलेंगे.
झालाना वन रेंज पेड़ों का कर रहा ट्रांसप्लांट यदि किसी के घर निर्माण या रास्ते में यह पेड़ बाधा रहा हो तो पेड़ को काटे नहीं झालाना वन क्षेत्र में दान करें. वन विभाग उस पेड़ को झालाना वन क्षेत्र में ट्रांसप्लांट करके लगाएगा. ट्रांसप्लांट पेड़ पर व्यक्ति का नाम तारीख और पेड़ की लंबाई सहीत सारी जानकारी एक प्लेट पर लिखा जाएगा. जब कभी भी व्यक्ति झालाना लेपर्ड सफारी भ्रमण करने के लिए आए तो ट्रांसप्लांट कर्ता व्यक्ति को पेड़ को देखकर गौरवान्वित महसूस होगा. झालाना लेपर्ड सफारी में आने वाले पर्यटक भी जागरूक होंगे. झालाना वन रेंज अधिकारी जनेश्वर चौधरी की पहल पर वृक्षारोपण ट्रांसप्लांट करने की शुरुआत की गई.
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इसकी शुरुआत सितंबर महीने में एक बरगद के पेड़ और फलदार पेड़ का ट्रांसप्लांट करने के साथ कि गई थी. जो कि एक महीने बाद अब बरगद के पेड़ और फलदार पेड़ पर पत्तियों की फूटन आने लगी है. झालाना वन रेंज अधिकारी जनेश्वर चोधरी ने बताया कि झालाना लेपर्ड सफारी में फलदार और ग्रास लगाने की आवश्यकता इसलिए हुई की जंगल में पैंथर, नीलगाय, हिरण सहित अन्य जंगली जानवर विचरण करते हैं. इन वन्यजीवों के भोजन के लिए फलदार पौधे पेड़ों की आवश्यकता हुई. साथ ही बड़ी संख्या में पक्षियों का भी विचरण होगा.
झालाना वन क्षेत्र में वन्यजीवों और पक्षियों को मध्य नजर रखते हुए अनुपयोगी वृक्षों को वन क्षेत्र से हटाकर फलदार और छायादार वृक्ष लगाए जा रहे हैं. क्योंकि नीलगाय, हिरण सहित अन्य शाकाहारी वन्यजीवों के लिए फलदार पेड़ पौधे उपयोगी होंते है. साथ ही मांसाहरी वन्यजीव पैंथर के लिए शिकार आसान हो जाएगा. पैंथर को शिकार के लिए जंगल के बाहरी क्षेत्र में जाने की संभावना नहीं बढ़ेगी. क्योंकि पैंथर के शिकार जंगल में ही आसानी से हो जाएगा. आने वाले समय में शाहकारी वन्यजीवों को अच्छे फल पत्तियां भोजन के रूप में मिलेगी.
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यदि कोई भी पेड़ फलदार या बरगद का पेड़ किसी के मकान के निर्माण या रास्ते में रुकावट पैदा कर रहा है तो उस पेड़ को काटे नहीं बल्कि वन विभाग झालाना वन क्षेत्र में सूचना देकर उस पेड़ को ट्रांसप्लांट करवाएं. जिससे आने वाले समय में यह फलदार और छायादार पेड़ वन्यजीवों के लिए उपयोगी साबित हो सके. क्योंकि इस तरह के पेड़ पौधे ट्रांसप्लांट के समय 70 प्रतिशत जड़ लगने की उम्मीद होती है, तो वहीं 30 प्रतिशत पेड़ों के मरने की संभावना रहती है.