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टूटेगी 25 साल पुरानी परंपरा, खजाने वालों का रास्ता के बजाए गोविंददेवजी मंदिर के बाहर होगा होली का डांडा पूजन - होली का डांडा पूजन

गोविंददेवजी मंदिर की ढाई दशक पुरानी परम्परा इस बार टूटेगी. होली का डांडा पूजन (Govind Devji Mandir Holi ka Danda Pujan) वहां नहीं होगा जहां पहले होता था. माघ पूर्णिमा से होली का डांडा रोपा जाता है. पहले मंदिर के खजाने वालों के रास्ते में पूजन किया जाता था इस बार ऐसा नहीं होगा.

Govind Devji Mandir Holi ka Danda Pujan
टूटेगी 25 साल पुरानी परंपरा

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Published : Feb 11, 2022, 11:12 AM IST

जयपुर. होली से करीब एक महीने पहले जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर में माघ पूर्णिमा से होली का डांडा रोपा जाता है. इस बार होली का डांडा पूजन 16 फरवरी 2022 को किया जाएगा. लेकिन इस बार 25 साल पुरानी एक परंपरा टूटेगी और नया रिवाज शुरू होगा. चंग और डफ की थाप संग होली का डांडा पूजन (Govind Devji Mandir Holi ka Danda Pujan) खजाने वालों के रास्ते में किया जाता था. इस साल गोविंददेवजी मंदिर के बाहर यह पूजा की जाएगी.

फैसले की वजह क्या? : दरअसल, खजाने वालों के रास्ते में भारी भीड़-भाड़ और यातायात व्यवस्था प्रभावित होने के कारण यह फैसला लिया गया है. आर्ष संस्कृति दिग्दर्शक ट्रस्ट के कार्यालय पर हुई बैठक में होली का डांडा पूजन का स्थान बदलने का फैसला लिया गया है.

टूटेगी 25 साल पुरानी परंपरा

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क्या बोले धर्म प्रचारक?: धर्म प्रचारक विजय शंकर पांडेय के अनुसार खजाने वालों के रास्ते में स्थित बद्रीनाथ जी के चौक में 25 वर्षों से होली का डांडा पूजन होली से एक माह पहले माघ पूर्णिमा को किया जाता है. बाजारों में भीड़ होने की वजह से और यातायात व पार्किंग व्यवस्था से कार्यक्रम प्रभावित होने के कारण इस वर्ष इसका स्थान बदला जाएगा.अब गोविंददेवजी मंदिर के बाहर संत-महंतों के सानिध्य में यह पूजा कर प्राचीन काल से चली आ रही होली का डांडा पूजन की परंपरा को निभाया जाएगा.

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डांडा पूजन एक प्रतीक: डांडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक है और होली दहन से ठीक पहले इसे सुरक्षित निकाल लिया जाता है. होली का आगाज रोपण से ही हो जाता है. परंपरानुसार इसे सालों साल से मनाया जाता रहा है.

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