जयपुर. कोरोना संक्रमण के कारण लोग घरों में बंद हैं. अब बच्चे पूरा दिन चाहे ऑनलाइन क्लास करना हो या रिलैक्स, इसके लिए वे फोन पर ही डिपेंड हो गए हैं. ऐसे में बच्चे और युवा अनजाने में खुद को मानसिक समस्याओं के अंधेरे में धकेल रहे हैं.
कोरोना वायरस के कारण आम जनजीवन बुरी तरीके से प्रभावित है और लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में बोरियत से बचने के लिए ज्यादातर बच्चे और युवा मोबाइल, टीवी या किसी दूसरे गैजेट पर ज्यादा समय बिता रहे हैं. जबकि वक्त काटने के लिए यह जरिया बहेद खतरनाक है. ये भी कोरोना की तरह ही खतरनाक है, जिसकी चपेट में बच्चे और युवा पीढ़ी आ चुकी है. आज बच्चे वर्तमान से दूर आभासी (Virtual World) में ज्यादा समय बीता रहे हैं. यहां नाटकीय अंदाज में कुछ भी परोस दिया जा रहा है, जो बच्चों और युवाओं के माइंड को ज्यादा परेशान करता है.
इस कारण बच्चे अवसाद, टेंशन, गुस्सा और चिड़चिड़ापन के शिकार हो रहे हैं. जिसके कारण उनका मानसिक मनोबल टूट रहा है. युवाओं के आत्महत्या करने के मामले भी सामने आ रहे हैं, जिसकी एक वजह 'स्मार्टफोन' बन रहा है.
मोबाइल छोड़ने पर चिढ़ जाते हैं बच्चे...
लॉकडाउन से पहले सीमित समय के लिए ही मोबाइल का उपयोग होता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद स्मार्टफोन और मोबाइल फोन के साथ ही समय बीत रहा है. युवा ही नहीं, बल्कि बच्चों से लेकर बड़ों तक को इसकी लत लग चुकी है.
स्मार्टफोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर युवा पीढ़ी समय बर्बाद तो कर रही है. हालात तो ये भी हो गए हैं कि अब स्मार्टफोन के बिना लोग बेचैन हो जाते हैं. ऐसे में बच्चे व युवा कुछ मिनट भी बिना मोबाइल के नहीं रह पाते हैं. परिजनों का कहना है कि जब वो बच्चों को मोबाइल छोड़कर पास बैठने को कहते हैं तो वो चिढ़ जाते हैं.
हर कुछ गूगल करने की आदत है नुकसानदायक...
इन दिनों स्कूल बंद होने के चलते यदि बच्चा स्मार्टफोन का उपयोग अपनी पढ़ाई के लिए भी कर रहा है तो भी नुकसान ही हो रहा है. जिस जवाब को खोजने के लिए उसे पुस्तक का पाठ पढ़ना चाहिए या फिर जिस शब्द का अर्थ जानने के लिए डिक्शनरी के पन्नों को पलटना चाहिए, वह काम उसका झट से गूगल पर हो जाता है. इसलिए बच्चों ने किताबों को पढ़ना कम कर दिया है. युवा अब छोटी से छोटी जानकारी के लिए हर चीज को गूगल पर ढूंढते हैं. ऐसे में उन्हें विषय का ज्ञान भी अधूरा ही मिल पाता है.
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वहीं, मोबाइल चलाने के चक्कर में बच्चे और युवा इसके चलते पर्याप्त नींद भी नहीं ले पा रहे हैं. स्मार्टफोन की लत लग जाए तो बच्चे माता-पिता से छिप कर रात को स्मार्टफोन पर गेम खेलते रहते हैं या फिर कोई मूवी देखते हैं. जिससे उनके सोने के समय में तो कटौती हो ही रही है.
साथ ही लगातार स्मार्टफोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान पहुंच रहा है. स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने वाले बच्चे सिर्फ वर्चुअल वर्ल्ड में जी रहे हैं, जो इनके लिए बहुत नुकसानदायक है.