जयपुर. हाल ही में राजधानी में केंद्र की टीम ने आकर स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर मार्किंग की, जिसमें हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम (Greater Corporation Jaipur) क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरे को निस्तारित करने के प्रोजेक्ट को देखने के साथ-साथ सिटीजनफीडबैक भी लिया. चूंकि इस बार स्वच्छता के अंक 7500 हैं. जिसमें शहर वासियों की ओर से दिए गए फीडबैक का भी बड़ा रोल रहेगा. यही वजह है कि दोनों निगमों ने शहरवासियों को हाईटेक सफाई व्यवस्था का प्लान दिखाया है. जिसके तहत हेरिटेज नगर निगम में सीएनजी हूपर से सेग्रीगेट कचरा कलेक्शन शुरू किया है और ग्रेटर नगर निगम में क्यूआर कोड स्कैन कर हूपर की प्रेजेंस सुनिश्चित की जाएगी.
ग्रेटर नगर निगम की हाल ही में हुई साधारण सभा की बैठक में बीवीजी कंपनी को बाहर कर नए सिरे से टेंडर आमंत्रित करने के प्रस्ताव पर मुहर लगी. इस बार निगम की ओर से तीन अलग-अलग टेंडर किए जाएंगे, ताकि हड़ताल होने की स्थिति में सफाई व्यवस्था नहीं बिगड़ें. निगम के नए प्लान के अनुसार अब 7 जोन के लिए अलग-अलग जोनवार डोर टू डोर कचरा संग्रहण (Door to door garbage collection via card Swapping in Jaipur) कार्ड स्वैपिंग के आधार पर कराए जाने के लिए टेंडर किया जाएगा.
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साथ ही सक्शन मशीन और हूपर से रोड स्वीपिंग और कचरे को निस्तारित करने के लिए डंपिंग यार्ड मथुरादास पुरा और सेवापुरा पहुंचाने के लिए अलग अलग टेंडर किया जाएगा. नए प्लान के तहत शहरवासियों से कचरा उठाने का पैसा भी वसूल किया जा सकता है. निगम अधिकारियों की माने तो घर से कचरा उठा या नहीं इसका पता क्यूआर कोड के जरिए लगाएगा. जितने घरों तक हूपर पहुंचेगा, उतने का ही भुगतान होगा. हूपर संचालक क्यूआर कोड स्कैन करेगा और इसका रिकॉर्ड निगम जोन कार्यालय और मुख्यालय में रखा जाएगा.
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उधर, हेरिटेज नगर निगम प्रशासन कचरा संग्रहण करने वाले सीएनजी हूपर संचालित करवा रहा (CNG hooper in heritage Nagar Nigam) है. इन हूपर से पर्यावरण प्रदूषित भी नहीं हो रहा और निगम को पैसा भी कम खर्च करना पड़ रहा है. हेरिटेज नगर निगम की ओर से अभी 165 हूपर का संचालन हो रहा है. अगले महीने तक 45 हूपर सीएनजी में कन्वर्ट हो जाएंगे. इससे डीजल चोरी की शिकायतों पर भी लगाम लगी है और ये हूपर कम लागत में ज्यादा क्षेत्र कवर कर रहे हैं. आपको बता दें कि इस बार 7 हजार 500 नम्बर का सर्वेक्षण है, जिसमें 3 हजार अंक सर्विस लेवल प्रोगेस के, 2250 नम्बर सर्टिफिकेशन के और 2250 नम्बर सिटीजन वाईस के तय किए गए हैं. ऐसे में शहर वासियों की ओर से दिए गए अंक ही स्वच्छता सर्वेक्षण में टर्निंग प्वाइंट साबित होंगे.