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3 बाघ लापरवाही से मरे और मंत्री ने दिया वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने का हवाला

प्रश्नकाल के दौरान बाघों की मौत और पुनर्वास के मामले में मंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि तीन बाघ लापरवाही से मरे थे. और वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने पर अभ्यारण की चारदीवारी का कार्य पूरा हो पाएगा.

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Published : Aug 2, 2019, 3:50 PM IST

जयपुर. विधानसभा में बाघों के पुनर्वास का मामला उठा जिस में सामने आया कि सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण में साल 2010 से अब तक 10 बाघों की मौत हुई है. जिसमें तीन बाघों की मौत लापरवाही या शिकार के चलते हुई. वहीं वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने विभाग संरक्षण के मामले में कहा कि अभयारण्य में बाघ सुरक्षित है. साथ ही कहा कि सरिस्का वन्य जीव में चार दिवारी का काम वित्तीय संसाधन की उपलब्धता होने पर ही पूरा हो पाएगा.

3 बाघों की मौत मानवीय लापरवाही से - मंत्री सुखराम विश्नोई

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विधायक खुशवीर सिंह ने उठाया था मामला

विधानसभा के प्रश्नकाल में विधायक खुशवीर सिंह ने सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण में बाघों की मौत और पुनर्वास का मामला उठाया था. साथ ही यह भी मांग की कि सरकार मुकुंदरा टाइगर हिल्स की तरह सरिस्का में भी संपूर्ण क्षेत्र में फेंसिंग करवा दें. जिससे किसी भी प्रकार की लापरवाही से बाघों की मौत ना हो.

हालांकि, जवाब में मंत्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता होने पर ही अभ्यारण में संपूर्ण चारदीवारी का काम करवाया जाएगा. वन मंत्री ने यह भी कहा कि अभ्यारण में लापरवाही और शिकार के चलते तीन बाघों की मौत हुई है जिस पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है. और कुछ पर कार्रवाई भी हुई है. वन मंत्री ने कहा कि अभ्यारण में बाघ पूरी तरह सुरक्षित है और वन संरक्षक भी तैनात है.

वन मंत्री ने अपने जवाब में साल 2010 से अब तक 6 बाघों की मौत की बात कही, जिसमें तीन बाघों की मौत लापरवाही से होने की बात भी स्वीकारी. और कहा है कि वित्तीय उपलब्धता होने पर ही सरिस्का अभ्यारण की चारदीवारी का काम संपूर्ण हो पाएगा. बाघ संरक्षण के क्षेत्र में लापरवाही की बात मंत्री स्वीकारते हैं. लेकिन, वन अभ्यारण सुरक्षित होने की बात भी कहते है,जो बयान परस्पर विरोधाभासी है.

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