जयपुर.राजस्थान में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हार के बाद निकाय चुनाव में जीत के लिए हर कदम फूंक-फूंक कर उठा रही है. लेकिन, निकाय चुनाव में भी कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी परेशानी है. जयपुर शहर के कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी किसी से भी छिपी नहीं है. यही कारण है कि निकाय चुनाव जिन्हें छोटा चुनाव माना जाता है, उसके लिए भी एआईसीसी के सचिव खुद यह देख रहे हैं कि निकाय चुनाव में कांग्रेस के किन प्रत्याशियों पर दांव खेले और कैसे पार्टी को जीत मिले.
जयपुर कांग्रेस की गुटबाजी दूर करने के काम में जुटे एआईसीसी सचिव विवेक बंसल एआईसीसी सचिव विवेक बंसल लगातार जयपुर में होने वाले निकाय चुनाव के लिए ब्लॉक लेवल तक की मीटिंग ले रहे हैं और योग्य उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बात करते हुए विवेक बंसल ने साफ किया कि इस बार टिकट जिसे भी दिया जाएगा, उसके लिए सबसे पहले पार्टी की ओर से यह देखा जाएगा कि टिकट मांगने वाले प्रत्याशी की विधानसभा और लोकसभा चुनाव में क्या भूमिका रही थी और जिस प्रत्याशी की इन दोनों चुनाव में सकारात्मक भूमिका रही, उन्हें टिकट देने में प्राथमिकता दी जाएगी.
कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी बड़ी चुनौती
वहीं बंसल के सामने एक बार फिर से चुनौती यह आ गई है कि जयपुर कांग्रेस की गुटबाजी जो लोकसभा चुनाव में जमकर चली थी, उसे कैसे काबू में किया जाए. हाल ही में कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच एक बैठक के दौरान भी नेताओं ने आपसी छींटाकशी की थी, जिसे लेकर भी पार्टी चिंतित है. बंसल ने कहा कि यह पार्टी के संज्ञान में है और ध्यान रखा जाएगा कि आगे से इस तरीके की घटना की पुनरावृत्ति ना हो.
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वहीं टिकट के लिए विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं ने जिस तरीके से पार्टी के सामने यह पक्ष रखा है कि टिकट यदि उनके अनुसार दिए जाए तो पार्टी के उम्मीदवार के जीतने की संभावना ज्यादा रहेगी. उसे लेकर भी बंसल ने साफ किया कि विधानसभा के प्रत्याशी रहे नेताओं की राय को दरकिनार तो नहीं किया जाएगा लेकिन, यह संभव नहीं है कि उन्हीं नेताओं के आधार पर सारे टिकट दे दिए जाएंगे. बंसल ने साफ किया कि इसके लिए कांग्रेस की ओर से एक कमेटी बनाई जा रही है और उसकी रिपोर्ट को भी टिकट के लिए आधार माना जाएगा.
निकाय चुनाव से पहले राजनीतिक नियुक्तियां संभव
पहले विधानसभा चुनाव में बेहतर काम करने के बाद नियुक्तियों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह कहकर रोका गया कि कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के बाद दी जाएगी. लेकिन, लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से 25 की 25 सीटें कांग्रेस हार गई, उसके बाद कार्यकर्ता नतीजों से तो निराश थे ही. इस बात की भी निराशा कार्यकर्ताओं में हो गई कि राजनीतिक नियुक्तियां प्रदेश में नहीं की गई.
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जबकि, विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं ने बेहतरीन काम किया था और प्रदेश में सरकार बनाई थी. ऐसे में अब राजस्थान कांग्रेस और सरकार दोनों की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि किसी तरह से नियुक्तियां इन निकाय चुनाव से पहले दे दी जाए. ताकि निकाय चुनाव में कार्यकर्ता पूरे उत्साह के साथ लगे. इसके लिए प्रदेश में 15 अक्टूबर तक ब्लॉक लेवल तक के कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार करके मंगवाई गई है. जिसके आधार पर कहा जा रहा है कि यह नियुक्तियां होगी.