जयपुर. प्रदेश के टोंक जिले में एक और राजसमंद जिले में दो बजरी खनन के पट्टे जारी (New gravel mining lease issued) किए गए हैं. अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा जालौर में दो व भीलवाड़ा में एक बजरी खनन पट्टे जारी किए जा चुके हैं.
उन्होंने बताया कि अब जयपुर, कोटा और उदयपुर में बजरी की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. वहीं समूचे प्रदेश की कुल मांग की 25 प्रतिशत से भी अधिक बजरी की मांग पूरी की जा सकेगी. साथ ही बजरी सस्ती (Gravel will be cheaper) भी होगी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर खनिज पट्टों के लिए जारी मंशा पत्रों की वैधता को 13 माह के स्थान पर 68 माह कर दिया है. इससे देवली, राजसमंद, नाथद्वारा में बजरी मंशा पत्रों की वैधता की राह प्रशस्त होने से तीन लीज जारी हो सकी है.
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माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इन तीन बजरी खनन पट्टों में से टोंक जिले के देवली में एसआर एसोसिएट्स भीलवाड़ा 1667.78 हेक्टेयर क्षेत्रफल का, नरोत्तम सिंह जादौन करौली को राजसमंद में 489.3965 हेक्टेयर क्षेत्रफल और राजसमंद के नाथद्वारा का हिम्मत सिंह शेखावत को 773.2797 हेक्टेयर क्षेत्रफल के पट्टे जारी किए गए हैं. उन्होंने बताया कि इससे राज्य सरकार को 50 करोड़ रुपए का सालाना राजस्व प्राप्त होगा.
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अग्रवाल ने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में 70 मिलियन टन बजरी की मांग है. तीन नए पट्टे जारी होने से कुल मांग की 25 फीसदी से अधिक पूर्ति हो सकेगी. तीनों पट्टे करीब 13 माह के लिए जारी किए गए हैं. राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम अनुसार डाइज-नॉन पीरियड अवधि के लिए यह पट्टे जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि खनन पट्टे में पूर्व में स्वीकृत आदेश (22 मई, 2017) की शर्तें यथावत रहेंगी और समय-समय पर होने वाले संशोधन मान्य होंगे.