जयपुर.महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए तीन विभाग एक साथ मिलकर काम करेंगे. राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग अब एक साथ मिलकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर काम करेंगे. स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिंग और प्रतिस्पर्धात्मक विपणन पर फोकस के साथ बाजार में पकड़ मजबूत करने करने के लिए कॉमन ऑनलाईन पोर्टल बनाया जाएगा. इस संबध में शासन सचिव, महिला एवं बाल विकास कृष्ण कान्त पाठक एवं स्वायत्त शासन सचिव, भवानी सिंह देथा और स्टेट मिशन डायरेक्टर, राजीविका शुचि त्यागी सहित महिला सशक्तिकरण प्रोजेक्ट्स से जुड़े अधिकारियों के साथ अह्म बैठक की.
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण एवं शहरी स्वंय सहायता समूहों की ओर से बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिगं और प्रतिस्पर्धात्मक विपणन के लिए बाजार उपलब्ध करवाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के तहत राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग मिलकर समन्वित प्रयास करेंगे. अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बैठक में स्वयं सहायता समूहों की समस्त गतिविधियों के लिए और बाजार में पैठ मजबूत बनाने के लिए एक कॉमन ऑनलाईन पोर्टल बनाए जाने वाले बिन्दुओं जैसे स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए ऑनलाईन आवेदन, विशिष्ठ योजनाएं, प्रशिक्षण, वित्त, मार्केटिंग, मूल्यांकन, रिर्पोटिंग, फेसिलिटेटर्स, नवाचार, प्रारूप, उत्पाद, परिवेदनाएं और हेल्पलाइन पर विस्तृत चर्चा की.
उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव कृष्णकान्त पाठक की ओर से तैयार प्रस्तुतिकरण को भी देखा. पाठक ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि आन्ध्रप्रदेश, कुडुम्बश्री सहित देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान राज्य में भी महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है. उन्होंने बताया कि महिला स्वंय सहायता समूहाें के रिकार्ड संधारण के लिए केवल एक रजिस्टर से लेकर उनसे जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए एक ऑनलाईन पोर्टल आवश्यक है. अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि राजीविका के तहत गठित महिला स्वंय सहायता समूहों की ओर से अधिकतर कार्य कृषि से जुड़े हुए हैं.
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उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि ये स्वंय सहायता समूह फार्म सैक्टर से गैर कृषि क्षेत्र (नॉन फार्म सैक्टर) से जुड़ें, ताकि उनकी आजिविका में पर्याप्त बढ़ोतरी हो और वैल्यू एडिशन बढ़ सके. स्वंय सहायता समूहों की ओर से तैयार उत्पाद गुणवत्तापूर्ण होने के बावजूद पैंकिगं की गुणवत्ता के अभाव में उनके उत्पादों का विक्रय उचित मूल्य पर नहीं हो पाता. इसके समाधान के लिए उन्होंने तीनों विभागों ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के तहत राजीविका, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग के तहत एनयूएलएम के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता प्रतिपादित की. जिस पर महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग की पहल पर सहमत हो गए.